
नयी दिल्ली। 2019 आम चुनाव में चांदनी चौक से किस पार्टी का उम्मीदवार संसद भवन पहुंचेगा इस बात का फैसला स्थानीय वोटर करेगा। अब न तो यहां किसी भी पार्टी की लहर है और न ही विपक्ष इतना कमजोर है। 2014 में कांग्रेस की हालात काफी खराब थे। देशभर में मोदी लहर चल रही थी। मोदी लहर में विपक्ष नतमस्तक हो गया था। लेकिन आज हालात काफी बदल चुके हैं।
देश से मोदी इफैक्ट कम होता नजर आ रहा है। हाल ही में कांग्रेस ने राजस्थान, मघ्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर अपना परचम लहराया है। इससे बीजेपी सदमे में है तो कांग्रेस में एक नया जोश आ गया है। वैसे भी पूरे देश में मोदी सरकार के विरोध में विपक्ष एकजुट हो रहा है। इससे भी मोदी सरकार और बीजेपी की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। अब भाजपा और मोदी सरकार के मंत्री विकास, अर्थव्यवस्था और स्मार्ट सिटी का जिक्र नहीं करते हैं। बल्कि मोदी सरकार और भाजपा केवल राष्ट्रवाद और सेना को लेकर जनता के बीच जाते हैं और मगरमच्छी आंसू बहा कर जवानों की शहादत पर लोगों से अपने लिये वोट मांग रहे हैं।
दिल्ली की बात करें तो नोटबंदी, जीएसटी के बाद जिस चीज से परेशान हुए वो है सीलिंग। सीलिंग के चलते काफी लोगों के धंधे बरबाद हुए। इसको लेकर व्यापारी वर्ग भाजपा से काफी नाराज है। यह माना जाता रहा है कि व्यापारी वर्ग भाजपा का सालिड वोट माना जाता है। अगर यह खिसका तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर जा सकता है। दूसरा कारण यहां पर जाति समीकरण हो सकता है। यहां बनिया वोट काफी मायने रखता है। यह देखते हुए कांग्रेस जेपी अग्रवाल और आम आदमी पार्टी ने पंकज गुप्ता को खड़ा किया है। पहले यह वोट भाजपा के खाते में जाता रहा है लेकिन इस बार भाजपा का वोट कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के बीच बंट सकता है।
चांदनी चौक से भाजपा ने सांसद डा. हर्षवर्धन पर ही दांव लगाया हैं। डा. हर्षवर्धन मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री है। उनकी छवि भी ठीक ठाक है। कांग्रेस ने यहां से पूर्व सांसद जेपी अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया है। जेपी अग्रवाल कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं। आम आदमी पार्टी ने चांदनी चौक से पंकज गुप्ता को टिकट देकर मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता काफी समय से इस क्षेत्र की जनता के बीच जा रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार ने मेडिकल, शिक्षा, हेल्थ और बिजली पानी पर विशेष कार्य किया है। इसलिये बीजेपी और कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से कड़ा मुकाबला करना पडे़गा।आज के हालात में तो ऐसा ही लगता है लेकिन मतदान के समय वोटर ही इनके भाग्य का निर्णय करेंगे।