Priyanka-vs-Modi
Congress Gen. Secy. Priyanka Gandhi takes PM Modi in General Meetings in Up

यदि किसी से ये पूछा जाये कि इस चुनाव सबसे इंपोर्टटेंट और दिलचस्प चुनाव किस जगह होने वाला है। लगभग सभी लोग इस बात से सहमत होंगे कि पीएम मोदी जहां से चुनाव लड़ेंगे वहीं का चुनाव सबसे दिलचस्प होगा। सबकी निगाहें भी यहां के परिणामों पर लगी रहेगी। पिछली बार आम चुनाव में पीएम मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीते भी थे। इस बार भी मोदी जी दोबारा यहां से एमपी का चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
लेकिन इस बार के हालात काफी बदल चुके हैं। लोगों ने मोदी के पांच सालों का राज देख लिया है। इन पांच सालों में मोदी सरकार ने कुछ ऐसे काम किये जिससे आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना। इसके बावजूद अनेक प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सरकार बनी है इसके लिये उन्होंने अनेक दलों से गठबंधन भी किया। लेकिन मोदी सरकार के कुछ फैसले आम जनता के हित में नहीं गये है जैसे नोटबंदी और जीएसटी। इन दोनों की वजह से काफी लोगों के रोजगार गये। लघु उद्योग चैपट हो गये। किसान ऋण की वजह से आत्महत्या करने पर मजबूर हैं। पढ़े लिखे युवा रोजगार के लिये दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। विपक्ष इन सब मुद्दों पर मोदी सरकार को घेर रही है। आम चुनाव में मोदी सरकार इन सब मुद्दों की जगह राष्ट्रवाद और फौज को आगे कर रही है। बीजेपी जान रही है कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिसका कोई भी दल विरोध नहीं कर सकेगा और पिछली बार की तरह एक बार फिर सत्ता उनके हाथ लग जायेगी।
लेकिन पिछली बार कांग्रेस ने प्रियंका नाम का ट्रप कार्ड नहीं निकाला था। वो पिछली बार केवल अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित थी। लेकिन इस बार विपक्ष भी एकजुट है और कांग्रेस भी पहले की तरह कमजोर नहीं है। सक्रिय राजनीति में आते ही प्रियंका ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं। कांग्रेस की महासचिव होने के साथ साथ वो पूर्वाचल की इंचार्ज भी हैं। उनके आने से पूर्वांचल में कांग्रेस की स्थिति भी सुधरने के आसार दिख रहे हैं। पूर्वांचल में 21 लोकसभा सीटें हैं 19 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। यहां से भी बीजेपी का बड़ झटका लग सकता है। कांग्रेस के अलावा क्षेत्रीय दल बसपा, सपा और रालोद भी एक जुट हो कर आम चुनाव लड़ने की रणननीति बना चुके हैं। ऐसे में मोदी सरकार और बीजेपी विपक्ष के बुन जाल में फंस गयी है।
हाल ही में रायबरेली की एक सभा में किसी कांग्रेसी कार्यकर्ता प्रियंका से रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने की बात कही। प्रियंका ने कहा ययां से क्यों वाराणसी से क्यों नहीं। बात आयी गयी हो गयी। लेकिन राजनतिक पंडितों के मन यह बात बैठ गयी कि जिस तरह से प्रियंका गांधी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है उनकी तुलना मोदी से की जाने लगी है।
उनके बयानों पर मोदी सरकार और बीजेपी के प्रवक्तागण टिप्पणियां करने पर उतर जाते हैं। इस बात से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रियंका बीजेपी ओर मोदी सरकार हल्के में नहीं ले रही है। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी को आम चुनाव में भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है। यदि कांग्रेस मोदी के सामने प्रियंका को उतारने का निर्णय लेती है तो अन्य विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ तालमेल कर मोदी को कड़ी टक्कर देनी चाहिये। सीट जीतनी है तवैसे भी मोदी को टक्कर देने की बात सोचना भी मजाक लगता है। पिछली बार 2014 में मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ताल ठोकी थी। चुनाव में रिजल्ट तो सभी को लगभग मालूम था। लेकिन लोग यह देखना चाह रहे थे कि केजरीवाल मोदी को कितनी टक्कर दे पाते हैं। मोदी जी को 5 लाख से अधिक वोट मिले थे। अरविंद केजरीवाल को लगभग तीन लाख वोट मिले थे लेकिन केजरीवाल ने इस बहाने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं।
अब बात करते हैं यहां के जातिगत वोटों की। यहां पर लगभग सवा तीन लाख वोटर ब्राह्मण हैं। तीन लाख के करीब बनिया वोटर है। यादव वोटर भी लगभग तीन लाख के करीब है। इतना ही नहीं यहां लगभग साढ़े तीन लाख मुस्लिम वोटर है जो आगामी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। जिस पार्टी के उम्मीदवार के साथ यह जाति चली जायेगी जीत उसी की झोली में चली जायेगी। पहले कांग्रेस के साथ ब्राह्मण के साथ रहा करता था। लेकिन पिछली तीन दशकों से यूपी में कांग्रेस की सरकार नहीं बनी है। इस लिये कुछ ब्राह्मण वोट बीजेपी के साथ चला गया। बनिया वोटर परंपरागत बीजेपी को ही वोट करता है। यादव वोट समाजवादी पार्टी के साथ काफी हद है। रही बात मुस्लिम वोट की उसके लिये बसपा और सपा अपने सााथ होने का दावा करते हें। यदि कांग्रेस को यहां की सीट पर जीत चाहिये तो उसे मुस्लिम वोट को अपने पक्ष में लाना होगा। वेसे कांग्रेस पहले भी मुस्लिमों की पक्षधर बतायी जाती थी। मुस्लिम भी कांग्रेस को अपना रहनुमा मानते थे।

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