नयी दिल्ली। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर राजनीतिक दल राज्यपाल पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं। यह कह कर राज्यपाल की आलोचना कर रहे हैं कि उन्होंन केन्द्र सरकार के इशारे पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया है। सामना में शिवसेना की ओर से संपादकीय में लिखा गया है कि राज्यपाल पूर्व में संघ के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं। संघ और बीजेपी के इशारे पर राजनीतिक दलों के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। इस बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बचाव में गृहमंत्री अमित शाह उतरे और कहा कि राज्यपाल ने संविधान के मुताबिक कार्रवाई की है।
श्री शाह ने कहा कि हम सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद प्रदेश में सरकार नहीं बना सके सबसे ज्यादा नुकसान हमें हुआ है। प्रदेश में हमारी केयर टेकर सरकार थी। हमारे गठबंधन को जनता ने वोट किया। लेकिन हमारे साथी दल ने हमारे सामने ऐसी शर्त रखी जिसे हम मान नहीं सकते हैं। विरोधी दल राज्यपाल पर गलत आरोप लगा कर जनता की सहानुभूति लेना चाहते हैं। उन्होंने शिवसेना और अन्य रानीतिक दलों पर तंज कसते हुए कहा कि अगर उनके पास बहुमत का आंकड़ा है तो वो राज्यपाल के पास जायें और अब भी वो सरकार बना सकते हैं। शिवसेना और एनसीपी को राज्यपाल ने बुलाया था सरकार बनाने के लिये वो दोनों ही दल सरकार बनाने के लिये जरूरी समर्थन पत्र नहीं जुटा पाये।
इसमें राज्यपाल की कोई गलती नहीं है। उन्होंने जो कुछ भी किया वो तर्कसंगत और संवैधानिक तौर पर ठीक किया गया है।