रेडलाइट शब्द जैसे कानो में पड़ता है वैसे लोगो की आंखों अजीब सी चमक और चेहरे पर हंसी आ जाती है। यह शब्द अपने आप में अपनी कहानी बयान कर देता है। वेश्यावृत्ति से जुड़े लोगों को समाज में अच्छी और सम्मानजनक दृष्टि से नहीं देखा जाता है। इस व्यवसाय से जुड़े लोग इसी समाज का ही हिस्सा होने के बाद भी उन्हें हिकारत की नजर से देखा जाता है। दुनिया में ऐसा कोई भी देश नहीं होगा जहां वेश्यावृत्ति न होती हो। अधिकांश देशों में यह गैरकानूनी होने के बाद भी भारी तादाद में महिलाएं लाचारी और जीवनयापन के लिये जुड़ी हुई हैं। समाज के सफेदपोश लोग रात के अंधेरे में इन लाचार और बेबस औरतों के पास जा कर अपनी वासना का गंदा खेल खेलते हैं और दिन के उजाले में उन्हें समाज का कलंक बताते हैं। यह भी कड़वा सच है कि यदि हमारे शहरों में रेडलाइट एरिया न हो तो समाज में कइतना कदाचार बढ़ जायेगा कि हमारे घरों और परिवारों की बेटियां भी शायद अपनी इज्जत न बचा पाये।
कुछ देशों में सेक्स वर्कर को कानूनी मान्यता दी है उनमें बांग्लादेश भी जहां वेश्यावृत्ति भी अन्य व्यवसाय और नौकरी की तरह माना जाता है। यही वजह है कि दुनिया का सबसे बडा रेड लाइट ऐरिया बांग्लादेश में है। बांग्लादेश का संविधान वेश्यावृत्ति को कानूनी और विनियमित है। बांग्लादेश उन इस्लामिक देशों में एक है जहां सेक्सवर्कर को संवैधानिक मान्यता मिली है। सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों है तो उसका जवाब है गरीबी और भुखमरी। बांग्लादेश के कानून और संविधान के अनुसार वेश्यावत्ति में जुड़ी महिला को पंजीकरण कराने के साथ यह हलफनामा देना होगा कि वो अपनी मर्जी से वेश्यावृत्ति कर रही है और उसे अन्य कोई काम नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि बांग्लादेश के दौलतदिया में सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया है जहां 1600 से अधिक सेक्स वर्कर हैं। 1980 के दशक में देश में रेप की वारदातों पर रोक लगाने के लिये इस वेश्यालय को खोला गया था। बांग्लादेश में 20 वेश्यालय गांव है। इसके अलावा बांग्लादेश के तंगेल कंदापारा में देश का सबसे पुराना और दुनिया का दूसरा बड़ा रेडलाइट एरिया है। यह लगभग 200 साल पुरान वेश्यालय है जिसे 2014 में खत्म कर दिया गया था। लेकिन लोकल संस्थाओं और गैरसरकारी संगठनों की मदद से इसे फिर से आबाद कराया गया।
एक ग्लोबल संस्था यूएनएड्स् की रिपोर्ट के अनुसार 2016 में बांग्लादेश में लगभग डेढ़ लाख यौनकर्मी है। इन वेश्यालयों से जुड़े लोगों का मानना है कि यह भी एक प्रकार का जॉब है। इससे जुड़ी महिलाएं कुछ और काम करना ही नहीं चाहती हैं। इससे जुड़ी औरतों ने अपने आप को श्रमिक बताते हुए अपने अधिकारों के लिये कई बार प्रदर्शन किये। 2014 के अंत में बांग्लादेश राष्ट्रीय महिला वकील एसोसियेशन ने उच्च न्यायालय को आश्वस्त किया कि याौन कर्मियों का निष्कासन अवैध कार्य था।
लेकिन वेश्यावृत्ति से जुड़ी महिलाओं के हालात काफी खराब है। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कानूनन वेश्यावृत्ति में 18 साल या उससे अधिक उम्र की महिलाएं ही पंजीकृत की जायेंगी। वही औरते वेश्यावृत्ति करने का लाइसेंस रख सकती हैं। लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि दौलतदिया वेश्यालय में कुछ लड़कियों की उम्र 10 साल के आस पास होती है।
बांग्लादेश के २० पंजीकृत रेड-लाइट इलाकों में 20 हजार से अधिक बच्चे जन्म लेते हैं। लड़के बड़े होकर दलाल बन जाते हैं और लड़कियां अपनी मां के पेशे में बनी रहती हैं। पुलिस का अनुमान है कि हर साल 15 हजार से अधिक महिलाओं और बच्चों की तस्करी बांग्लादेश से बाहर की जाती है। ‘बांग्लादेश’ और ‘नेपाल’ दक्षिण एशिया में तस्करी के मुख्य स्रोत हैं। बांग्लादेशी महिलाओं और लड़कियों को भारत, पाकिस्तान, मलेशिया, यूएई और अन्य एशियाई देशों के वेश्यालयों में मजबूर किया जाता है।