dream papa
how a son worked hard to fulfill the father's dream

परीक्षाओं का वक्त जैसे ही नजदीक आया तो सागर अपनी पढ़ाई में इतना खो गया कि उसने अपने आस-पड़ोस के बच्चों से मिलना.जुलना तक बंद कर दिया। 

एक बार तो गांव के लड़के सागर को चिढ़ाते हुए कहते हैं- यार इतना मत पढ़ो कि पागल हो जाओ। हमें देखों हम तो कभी इतनी मेहनत से नहीं पढ़ते हैं लेकिन आज तक कभी फेल नहीं हुए। इस तरह की बातों पर सागर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देता और चुपचाप अपनी पढ़ाई में लग जाता है।

परीक्षाओं के दौरान अपने हर पेपर के लिये सागर पूरी मेहनत से तैयारी करता और परीक्षा देने के बाद अपने आप को पूरी तरह से संतुष्ट समझता था।

;परीक्षाएं खत्म हो चुकीं थीं। एक दिन पापा ने सागर से कहा- अरे अब तो तेरे पेपर भी खत्म हो गये हैं तो तू मेरे साथ खेत में थोड़ा हाथ ही बंटा दिया कर। अब क्यों तू दिन-रात इन किताबों में लगा रहता है।

सागर ने पापा की तरफ देखते हुए कहा- मुझे परीक्षाएं देकर थमना नहीं है बल्कि आने वाले दिनों के लिये भी तैयारी करनी है, ताकि मेरी पढ़ाई की दिलचस्पी में कम न हो।

पापा उसकी लगन से पढ़ाई की बात सुनकर बड़े प्यार से उसे देखते हुए बोले-चल ठीक है भई! जैसी तेरी मर्जी तू वैसा ही कर। मैं तो बस ऐसे ही कह रहा हूं ताकि तेरा मूड थोड़ा बदल जाये। अच्छा है तू अपनी पढ़ाई मैं इसी जोश के साथ लगा रह। भगवान तेरे लिये कुछ अच्छा सोचकर ही बैठा होगा और गले से लगाया। बालों को सहलाते हुए उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। ‘तू कर जमकरए अपनी आगे तैयारी में मैं तुम्हारे साथ हूं’। यह कहते हुए सागर के पिता जी खेतों में काम करने के लिये घर से निकल जाते हैं।

इसके बाद सागर पापा क एहसास दिल में लिये सोचा कि मेरे पिता जी मुझसे कितना प्यार करते हैं। जिसका मुझे अंदाज़ा तक नहीं था। यह सोचते.सोचते पिता जी के पीछे-पीछे खेतों में पहुंच गया। खेतों में जाकर जब कुदाल उठाकर एक कोने में कुदाल चलाना शुरू कर दिया। अचानक रामदेव की नज़र सागर पर पड़ी। देखते ही उसकी आंखें खुली की खुली रह गयीं।

पास आकर कहा कि अब तू मुझे रुलाएगा क्या। तुम्हें मैं खेतों में काम करता हुआ नहीं देख सकता। तू तो दिन रात पढ़ता हुआ मुझे अच्छा लगता है। कुदाल हाथ से लेते हुए कहा- बेटा तुम्हारा बाप अभी जिंदा हैं। मेरे जीते जी तुम्हारे हाथों में कुदाल नहीं देख सकता। यह सुनते ही सागर अपने पिता से लिपटकर फूट.फूटकर रो पड़ा। उसने कहा कि आपके जैसा पिता भगवान हर एक इंसान को दे।

रामदेव अपने बेटे की आंखों से आंसूं पोंछते हुए कहा ‘बाप-बेटे का जो प्यार होता है वो सिर्फ एहसास करने का होता है। बातों से बयां मत कर। जा तू यहां से चला जा। नहीं तो मैं भी रो पडूंगा अब इस उम्र में तू मुझे रुलाएगा क्या।

पापा सागर के लौटते ही कुदाल पकड़ कर फफक-फफक कर रो पड़ते हैं। मेरा बेटा कितना समझदार हो चुका है। एक पिता का एहसास समझने लगा है। समझे भी क्यों ना। आखिर मेरा बेटा जो है।

सागर घर पहुंचते ही किताब को उठाकर चूमता है। अपने पापा को आने वाले समय में कभी खेतों में ना जाने देगा। वो अपने को किताबों में पूरी तरह से अपने आपको डुबो देता है। तब तक साहिल पहुंचा और अगले दिन रिजल्ट आने की बात सागर को बतायी। इसके बाद दोनों गांव में घूमने निकल गये।

अगले दिन सागर सुबह ही अपने स्कूल पहुंचा तो पहले से वहां मौजूद उसके दोस्त उसे गोद में उठाकर सागर बाबा की जय हो। मगर सागर को समझ में ही नहीं आता कि आखिर आज उसके दोस्त ऐसा क्यों कर रहे हैं। पूछा कि ऐसे ही सागर बाबा की जय हो जय हो करते रहोगे या कुछ बताओगे भी।

तो सागर के दोस्तों ने बताया कि-तू तो दोस्तों में अव्वल है और अव्वल ही रहेगा। सागर वहां से भागता हुआ नोटिस बोर्ड की तरफ पहुंचा और अपना रिजल्ट देखकर घर वापस लौटा।  पसीने से तर.बतर घर में आते ही बोला -मां- मां अरे कहां हो तुम।

मां ने कमरे से बाहर निकलते हुए पूछा -अरे क्या हुआ क्यों पूरा घर तूने सिर पे उठा रखा है। क्या बात है कुछ तो बता।

सागर ने अपनी खुशी से कहा- अरे मां! तू सुनेगी तो खुशी से झूमने लगेगी।

मां ने सागर के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- अरे बेटा बता तो सही, खुद ही खुश होता रहेगा या फिर मुझे भी खुश होने का मौका देगा।

सागर ने मां को गले से लगाते हुए कहता है मां तेरा बेटा मैट्रिक पास हो गया है।  

मां ने सागर के माथे को चूमते हुए कहा- मुझे तो पता ही था कि तुम जरूर अच्छे नंबरों पास करोगे।

सागर ने मां को कसकर पकड़ते हुए कहा-यह तो आपके और पिता जी के विश्वास की जीत है जिसकी वजह से मैं पास हो सका। अच्छा मां यह तो बताओ कि पापा कहां गये हुए हैं।

मां ने बेटे को दुलारते हुए कहा- अरे बेटा तुम्हारे पापा तो खेत पर हैं और वो इतना जल्दी कहां आते हैं। सागर ने कहा- अच्छा मां मैं पापा से मिलकर आता हूं।

मां- ‘ठीक है बेटा जा। इसके बाद सागर घर से खेतों की तरफ निकल पड़ा। सागर मन ही मन सोच रहा था कि वो जब अपने पापा को मैट्रिक में पास होने की ख़बर सुनाएगा तो वो उसे गोदी में उठाकर खुशी से झूमने लगेंगे। यह सोचते हुए सागर के कदम तेज़ी के साथ खेतों की तरफ बढ़ रहे थे। सागर को दूर से ही खेत में हल चलाते हुए पापा नज़र आने लगे।

सागर ने सोचा कि हमारे पिता जी कितनी मेहनत करते हैं। भला इतना धूप में काम को खत्म करना जरूरी है क्या ! 

चिलचिलाती गर्मी में पसीने से तर.बतर सैंडो गंजी धोती और सर पर गमछा बांधे हुए ऐसा लग रहा है कि अभी-अभी नहाकर हल चला रहे हों। यह देखते-देखते सागर पापा के पास पहुंच गया।    

सागर ने कुछ दूरी से आवाज दी- पापा- पापा मैं मैट्रिक में पास हो गया।

पापा ने कहा ‘अरे मुझे तो पता ही था। इसके बाद वो फिर से हल चलाने लगे। 

इसी बीच पास के खेत में काम कर रहे बुधन चाचा की आवाज़ गूंजी। जो दिखने में तो सीधे.सादा है। कद 5 फुट 5 इंच का हट्टा. कठ्ठा और कपड़ों की चमक कभी उतरती नहीं। ऐसे तो कपड़े में धोती, हाफ बाजू कि बनियान और कंधे पर गमछा। गांव की बातें इधर से उधर करने में वो काफी माहिर हैं।    

तेज़ आवाज़ में बुधन चाचा ने कहा- अरे रामदेव भाई! तुम्हारा लड़का सिर्फ पास नहीं हुआ बल्कि पूरे ज़िले में टॉप किया है।

यह सुनते ही सागर के पापा ने काफी तेज़ी से बैलों को रोका। उन्हें ऐसा लगा जैसे किसी ने सूईं चुभो दी हो। तीन कदम की दूरी पर खड़े सागर को पसीने की परवाह किये बिना गले से लगा लिया। अरे मेरे लाल तुमने तो कमाल कर दिया। तेरे जैसा बेटा भगवान हर किसी को दे। यह कहते-कहते सागर के पापा के आंखों से आंसू छलक गयें। आंसुओं को साफ करते हुए बोले कि तू मेरे सपने को जरूर पूरा करेगा। 

सागर पापा की आंखों में आंसू देखकर अपने आप को संभाल नहीं पाया और खुद की आंखों में आंसूं लिये बोल पड़ा ‘क्या हुआ पापा आप रो क्यों रहे हो और आपका सपना क्या है? 

नहीं-नहीं ऐसे ही आंखों में आंसूं आ गये। पापा ने आंसू पोंछते हुए कहा।

इसी बीच एक आवाज़ आयी ‘अरे रामदेव भइया क्या बात है। आखिर तुम किस सपने की बात कर रहे हो।

रामदेव नेदृढ़ इच्छाशक्ति को दिखाते हुए सागर की आंखों मे आंखें डालकर बुधन की तरफ बिना देखे बोला ‘मैं अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनाना चाहता हूं और पूरे गांव की परेशानियों को दूर करना चाहता हूं। 

बुधन ने गंभीर आवाज़ में कहा- तो इसमें कौन सी बड़ी बात हैए सागर को डॉक्टर बनाना चाहते हो तो बन जाएगा। बुधन की भौंहे चढ़ीं की चढ़ीं और मुंह खुला का खुला रह गया।

पापा उदासी का भाव लिये बोल पड़े- अरे यार इसे बचपन से ही अच्छे स्कूल में डालना चाहिये था। अच्छे स्कूल में न पढ़ा पाने की कसक रामदेव के चेहरे पर साफ दिख रही थी।

बुधन ने कहा- कोई बात नहीं सरकारी स्कूल में पढ़ कर भी तो जिला टॉप किया है। 

बुधन की बात सुनकर रामदेव के चेहरे पर थोड़ी सी खुशी दिखाई दी और पूरे गांव वालों को पार्टी देने की बात कही। बुधन हां में हां मिलता हुए कहता है- इसमें कौन सी बड़ी बात है। हो जाये रात्रिभोज। फिर चलते हुए रामदेव ने बुधन को गांव वालों को रात्रिभोज का निमंत्रण देने को कहा। 

रामदेव ने खेत की जुतायी बीच में ही छोड़कर बैल खोले और घर की तरफ चल पड़ा। घर पहुंचते ही रामदेव ने अपनी को पुकारा-सागर की मां-सागर की मां कहां हो।

सागर की मां घर से बाहर निकलते हुए पूछा- इतनी ज़ोर-ज़ोर से क्यों चिल्ला रहे हो।

रामदेव ने खुशी से कहा- तुम्हें पता नहीं है आज हमारा सागर मैट्रिक पास हो गया है।

सागर की मां मासूमियत से पूछती है- इसमें कौन सी बड़ी बात हैए सभी के लड़के पास होते हैं।

रामदेव बड़े प्यार से चेहरे पर खुशी के भाव लिये कहा- अरे पगली पास ही नहीं किया है, पूरे ज़िले में टॉप किया है।

सागर की मां हैरान होते हुए कहा -मुझे तो बताया ही नहीं कि पूरे ज़िले में टॉप किया है। आता है तो कान खींचती हूं उसकी।

पापा ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे पगली कान- बान खींचने की बात छोड़ो और रात्रिभोज की तैयारी करो। आज गांव के लोगों को पार्टी देने का मन है।    

तब तक सागर और बुधन ने भी घर में प्रवेश किया हैं। अंदर आते ही रामदेव, बुधन चाचा को बैठने का इशारा किया। सागर को मां से पूछकर रात्रिभोज के लिये सामन लाने को कहा।

सागर ने अंदर जाकर मां से पूछा ‘मांए क्या-क्या लाना है। मां की बगल में बैठकर सामान की लिस्ट बनानी शुरू कर दी। सागर सामान लाने के लिये बाज़ार निकल पडा।

रामदेव ने बुधन चाचा से कहा कि मैं हलवाई को लेकर आता हूं तूम जाकर गांव वालों को रात्रिभोज का निंत्रण दे दो। 

इसके बाद बुधन पूरे गांव में घूमकर लोगों को सागर के ज़िले में टॉप करने की बात और रात्रिभोज का निमंत्रण देता है। कुछ लोगों को सागर के पापा के सपने को भी बताता है।

रामदेव की इस अच्छी सोच की बहुत से लोगों ने सराहा लेकिन कई लोग यह कहकर मज़ाक उड़ाया कि यह सब ख्याली बातें हैं डॉक्टर बनना इतना आसान नहीं है।   

बहुत से लोग तो यहां तक कहते हैं कि डॉक्टरी की पढ़ाई करने में बहुत पैसे खर्च होते हैं। क्या इतना पैसा है रामदेव के पास।

इधर इन सब बातों से बेख़बर रामदेव सीधा हलवाई के घर पहुंचा व रात्रिभोज की बात बतायी। अचानक रात्रिभोज की बात सुनकर हलवाई ने पूछा- किस खुशी में यह रात्रिभोज दिया जा रहा है भइया।

रामदेव ने सिर हिलाते हुए कहा अरे हमारे सागर ने मैट्रिक की परीक्षा में पूरा ज़िला टॉप किया हैए इसलिये आज गांव वालों को रात्रिभोज के लिये निमंत्रण दिया है।

हलवाई भी रामदेव की खुशी में शामिल होते हुए बोलाए अच्छा.अच्छा गांव में तो इस बात की काफी चर्चा चल रही है।

रामदेव रात्रिभोज का समय बताकर कहता है अच्छा मैं चलता हूं आप तुरंत घर आ जाओ। 

हलवाई को सारी बातें समझा कर रामदेव घर पहुंचा। सांझ ढलते-ढलते गांव के इक्का.दुक्का लोग आना शुरू हो गयें। सभी लोग सबसे पहले सागर के सिर पर हाथ फेर कर उसे बधाइयां देते हैं।

काफी लोग वहां पर इकठ्ठा हो कर गप्पे हांकने लगे। रामदेव के घर की रौनक काफी बढ़ गयी। लोग अलग-अलग ग्रुप में बैठकर सागर और सागर के पिता की तारीफ करने लगे। गांव के सभी लोग रात्रिभोज में पहुंच चुके थे। तभी गांव के प्रधान भी सागर के घर पहुंच गये। अलग-अलग बैठे लोगों ने प्रधान जी का अभिवादन किया।

प्रधान जी ने चुटकी लेते हुए पूछा -अरे क्या अलग.अलग गुटर.गूं चल रही है। यह तो सागर और उसके परिवार की मेहनत का नतीजा है। तब तक सागर उनके पैर छूता है। आशीर्वाद देते हुए प्रधान जी ने कहा ‘ऐसे ही मन लगाकर पढ़ाई करो। तब तक प्रधान जी की नज़र सागर के पिता पर पडी।

रामदेव ने प्रधान जी को नमस्ते करते हुए कहा -आइये-.आइये बैठिये प्रधान जी।

प्रधान जी कुर्सी पर बैठते हुए सागर के पिता की तरफ देखते हुए कहा कि आपके सागर ने तो पूरे ज़िले में टॉप करके हमारे गांव का नाम रोशन कर दिया है। हर किसी जुबान पर सिर्फ सागर का ही नाम ही है। पास खड़े सागर के सिर पर हाथ फेरते हुए प्रधान जी ने कहा- तुमने गांव की इज़्ज़त को बढ़ाया है तुम वाकई बहुत होनहार छात्र हा

परीक्षाओं का वक्त जैसे ही नजदीक आया तो सागर अपनी पढ़ाई में इतना खो गया कि उसने अपने आस-पड़ोस के बच्चों से मिलना.जुलना तक बंद कर दिया। 

एक बार तो गांव के लड़के सागर को चिढ़ाते हुए कहते हैं- यार इतना मत पढ़ो कि पागल हो जाओ। हमें देखों हम तो कभी इतनी मेहनत से नहीं पढ़ते हैं लेकिन आज तक कभी फेल नहीं हुए। इस तरह की बातों पर सागर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देता और चुपचाप अपनी पढ़ाई में लग जाता है।

परीक्षाओं के दौरान अपने हर पेपर के लिये सागर पूरी मेहनत से तैयारी करता और परीक्षा देने के बाद अपने आप को पूरी तरह से संतुष्ट समझता था।

;परीक्षाएं खत्म हो चुकीं थीं। एक दिन पापा ने सागर से कहा- अरे अब तो तेरे पेपर भी खत्म हो गये हैं तो तू मेरे साथ खेत में थोड़ा हाथ ही बंटा दिया कर। अब क्यों तू दिन-रात इन किताबों में लगा रहता है।

सागर ने पापा की तरफ देखते हुए कहा- मुझे परीक्षाएं देकर थमना नहीं है बल्कि आने वाले दिनों के लिये भी तैयारी करनी है, ताकि मेरी पढ़ाई की दिलचस्पी में कम न हो।

पापा उसकी लगन से पढ़ाई की बात सुनकर बड़े प्यार से उसे देखते हुए बोले-चल ठीक है भई! जैसी तेरी मर्जी तू वैसा ही कर। मैं तो बस ऐसे ही कह रहा हूं ताकि तेरा मूड थोड़ा बदल जाये। अच्छा है तू अपनी पढ़ाई मैं इसी जोश के साथ लगा रह। भगवान तेरे लिये कुछ अच्छा सोचकर ही बैठा होगा और गले से लगाया। बालों को सहलाते हुए उसे कसकर अपने सीने से लगा लिया। ‘तू कर जमकरए अपनी आगे तैयारी में मैं तुम्हारे साथ हूं’। यह कहते हुए सागर के पिता जी खेतों में काम करने के लिये घर से निकल जाते हैं।

इसके बाद सागर पापा क एहसास दिल में लिये सोचा कि मेरे पिता जी मुझसे कितना प्यार करते हैं। जिसका मुझे अंदाज़ा तक नहीं था। यह सोचते.सोचते पिता जी के पीछे-पीछे खेतों में पहुंच गया। खेतों में जाकर जब कुदाल उठाकर एक कोने में कुदाल चलाना शुरू कर दिया। अचानक रामदेव की नज़र सागर पर पड़ी। देखते ही उसकी आंखें खुली की खुली रह गयीं।

पास आकर कहा कि अब तू मुझे रुलाएगा क्या। तुम्हें मैं खेतों में काम करता हुआ नहीं देख सकता। तू तो दिन रात पढ़ता हुआ मुझे अच्छा लगता है। कुदाल हाथ से लेते हुए कहा- बेटा तुम्हारा बाप अभी जिंदा हैं। मेरे जीते जी तुम्हारे हाथों में कुदाल नहीं देख सकता। यह सुनते ही सागर अपने पिता से लिपटकर फूट.फूटकर रो पड़ा। उसने कहा कि आपके जैसा पिता भगवान हर एक इंसान को दे।

रामदेव अपने बेटे की आंखों से आंसूं पोंछते हुए कहा ‘बाप-बेटे का जो प्यार होता है वो सिर्फ एहसास करने का होता है। बातों से बयां मत कर। जा तू यहां से चला जा। नहीं तो मैं भी रो पडूंगा अब इस उम्र में तू मुझे रुलाएगा क्या।

पापा सागर के लौटते ही कुदाल पकड़ कर फफक-फफक कर रो पड़ते हैं। मेरा बेटा कितना समझदार हो चुका है। एक पिता का एहसास समझने लगा है। समझे भी क्यों ना। आखिर मेरा बेटा जो है।

सागर घर पहुंचते ही किताब को उठाकर चूमता है। अपने पापा को आने वाले समय में कभी खेतों में ना जाने देगा। वो अपने को किताबों में पूरी तरह से अपने आपको डुबो देता है। तब तक साहिल पहुंचा और अगले दिन रिजल्ट आने की बात सागर को बतायी। इसके बाद दोनों गांव में घूमने निकल गये।

अगले दिन सागर सुबह ही अपने स्कूल पहुंचा तो पहले से वहां मौजूद उसके दोस्त उसे गोद में उठाकर सागर बाबा की जय हो। मगर सागर को समझ में ही नहीं आता कि आखिर आज उसके दोस्त ऐसा क्यों कर रहे हैं। पूछा कि ऐसे ही सागर बाबा की जय हो जय हो करते रहोगे या कुछ बताओगे भी।

तो सागर के दोस्तों ने बताया कि-तू तो दोस्तों में अव्वल है और अव्वल ही रहेगा। सागर वहां से भागता हुआ नोटिस बोर्ड की तरफ पहुंचा और अपना रिजल्ट देखकर घर वापस लौटा।  पसीने से तर.बतर घर में आते ही बोला -मां- मां अरे कहां हो तुम।

मां ने कमरे से बाहर निकलते हुए पूछा -अरे क्या हुआ क्यों पूरा घर तूने सिर पे उठा रखा है। क्या बात है कुछ तो बता।

सागर ने अपनी खुशी से कहा- अरे मां! तू सुनेगी तो खुशी से झूमने लगेगी।

मां ने सागर के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- अरे बेटा बता तो सही, खुद ही खुश होता रहेगा या फिर मुझे भी खुश होने का मौका देगा।

सागर ने मां को गले से लगाते हुए कहता है मां तेरा बेटा मैट्रिक पास हो गया है।  

मां ने सागर के माथे को चूमते हुए कहा- मुझे तो पता ही था कि तुम जरूर अच्छे नंबरों पास करोगे।

सागर ने मां को कसकर पकड़ते हुए कहा-यह तो आपके और पिता जी के विश्वास की जीत है जिसकी वजह से मैं पास हो सका। अच्छा मां यह तो बताओ कि पापा कहां गये हुए हैं।

मां ने बेटे को दुलारते हुए कहा- अरे बेटा तुम्हारे पापा तो खेत पर हैं और वो इतना जल्दी कहां आते हैं। सागर ने कहा- अच्छा मां मैं पापा से मिलकर आता हूं।

मां- ‘ठीक है बेटा जा। इसके बाद सागर घर से खेतों की तरफ निकल पड़ा। सागर मन ही मन सोच रहा था कि वो जब अपने पापा को मैट्रिक में पास होने की ख़बर सुनाएगा तो वो उसे गोदी में उठाकर खुशी से झूमने लगेंगे। यह सोचते हुए सागर के कदम तेज़ी के साथ खेतों की तरफ बढ़ रहे थे। सागर को दूर से ही खेत में हल चलाते हुए पापा नज़र आने लगे।

सागर ने सोचा कि हमारे पिता जी कितनी मेहनत करते हैं। भला इतना धूप में काम को खत्म करना जरूरी है क्या ! 

चिलचिलाती गर्मी में पसीने से तर.बतर सैंडो गंजी धोती और सर पर गमछा बांधे हुए ऐसा लग रहा है कि अभी-अभी नहाकर हल चला रहे हों। यह देखते-देखते सागर पापा के पास पहुंच गया।    

सागर ने कुछ दूरी से आवाज दी- पापा- पापा मैं मैट्रिक में पास हो गया।

पापा ने कहा ‘अरे मुझे तो पता ही था। इसके बाद वो फिर से हल चलाने लगे। 

इसी बीच पास के खेत में काम कर रहे बुधन चाचा की आवाज़ गूंजी। जो दिखने में तो सीधे.सादा है। कद 5 फुट 5 इंच का हट्टा. कठ्ठा और कपड़ों की चमक कभी उतरती नहीं। ऐसे तो कपड़े में धोती, हाफ बाजू कि बनियान और कंधे पर गमछा। गांव की बातें इधर से उधर करने में वो काफी माहिर हैं।    

तेज़ आवाज़ में बुधन चाचा ने कहा- अरे रामदेव भाई! तुम्हारा लड़का सिर्फ पास नहीं हुआ बल्कि पूरे ज़िले में टॉप किया है।

यह सुनते ही सागर के पापा ने काफी तेज़ी से बैलों को रोका। उन्हें ऐसा लगा जैसे किसी ने सूईं चुभो दी हो। तीन कदम की दूरी पर खड़े सागर को पसीने की परवाह किये बिना गले से लगा लिया। अरे मेरे लाल तुमने तो कमाल कर दिया। तेरे जैसा बेटा भगवान हर किसी को दे। यह कहते-कहते सागर के पापा के आंखों से आंसू छलक गयें। आंसुओं को साफ करते हुए बोले कि तू मेरे सपने को जरूर पूरा करेगा। 

सागर पापा की आंखों में आंसू देखकर अपने आप को संभाल नहीं पाया और खुद की आंखों में आंसूं लिये बोल पड़ा ‘क्या हुआ पापा आप रो क्यों रहे हो और आपका सपना क्या है? 

नहीं-नहीं ऐसे ही आंखों में आंसूं आ गये। पापा ने आंसू पोंछते हुए कहा।

इसी बीच एक आवाज़ आयी ‘अरे रामदेव भइया क्या बात है। आखिर तुम किस सपने की बात कर रहे हो।

रामदेव नेदृढ़ इच्छाशक्ति को दिखाते हुए सागर की आंखों मे आंखें डालकर बुधन की तरफ बिना देखे बोला ‘मैं अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनाना चाहता हूं और पूरे गांव की परेशानियों को दूर करना चाहता हूं। 

बुधन ने गंभीर आवाज़ में कहा- तो इसमें कौन सी बड़ी बात हैए सागर को डॉक्टर बनाना चाहते हो तो बन जाएगा। बुधन की भौंहे चढ़ीं की चढ़ीं और मुंह खुला का खुला रह गया।

पापा उदासी का भाव लिये बोल पड़े- अरे यार इसे बचपन से ही अच्छे स्कूल में डालना चाहिये था। अच्छे स्कूल में न पढ़ा पाने की कसक रामदेव के चेहरे पर साफ दिख रही थी।

बुधन ने कहा- कोई बात नहीं सरकारी स्कूल में पढ़ कर भी तो जिला टॉप किया है। 

बुधन की बात सुनकर रामदेव के चेहरे पर थोड़ी सी खुशी दिखाई दी और पूरे गांव वालों को पार्टी देने की बात कही। बुधन हां में हां मिलता हुए कहता है- इसमें कौन सी बड़ी बात है। हो जाये रात्रिभोज। फिर चलते हुए रामदेव ने बुधन को गांव वालों को रात्रिभोज का निमंत्रण देने को कहा। 

रामदेव ने खेत की जुतायी बीच में ही छोड़कर बैल खोले और घर की तरफ चल पड़ा। घर पहुंचते ही रामदेव ने अपनी को पुकारा-सागर की मां-सागर की मां कहां हो।

सागर की मां घर से बाहर निकलते हुए पूछा- इतनी ज़ोर-ज़ोर से क्यों चिल्ला रहे हो।

रामदेव ने खुशी से कहा- तुम्हें पता नहीं है आज हमारा सागर मैट्रिक पास हो गया है।

सागर की मां मासूमियत से पूछती है- इसमें कौन सी बड़ी बात हैए सभी के लड़के पास होते हैं।

रामदेव बड़े प्यार से चेहरे पर खुशी के भाव लिये कहा- अरे पगली पास ही नहीं किया है, पूरे ज़िले में टॉप किया है।

सागर की मां हैरान होते हुए कहा -मुझे तो बताया ही नहीं कि पूरे ज़िले में टॉप किया है। आता है तो कान खींचती हूं उसकी।

पापा ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे पगली कान- बान खींचने की बात छोड़ो और रात्रिभोज की तैयारी करो। आज गांव के लोगों को पार्टी देने का मन है।    

तब तक सागर और बुधन ने भी घर में प्रवेश किया हैं। अंदर आते ही रामदेव, बुधन चाचा को बैठने का इशारा किया। सागर को मां से पूछकर रात्रिभोज के लिये सामन लाने को कहा।

सागर ने अंदर जाकर मां से पूछा ‘मांए क्या-क्या लाना है। मां की बगल में बैठकर सामान की लिस्ट बनानी शुरू कर दी। सागर सामान लाने के लिये बाज़ार निकल पडा।

रामदेव ने बुधन चाचा से कहा कि मैं हलवाई को लेकर आता हूं तूम जाकर गांव वालों को रात्रिभोज का निंत्रण दे दो। 

इसके बाद बुधन पूरे गांव में घूमकर लोगों को सागर के ज़िले में टॉप करने की बात और रात्रिभोज का निमंत्रण देता है। कुछ लोगों को सागर के पापा के सपने को भी बताता है।

रामदेव की इस अच्छी सोच की बहुत से लोगों ने सराहा लेकिन कई लोग यह कहकर मज़ाक उड़ाया कि यह सब ख्याली बातें हैं डॉक्टर बनना इतना आसान नहीं है।   

बहुत से लोग तो यहां तक कहते हैं कि डॉक्टरी की पढ़ाई करने में बहुत पैसे खर्च होते हैं। क्या इतना पैसा है रामदेव के पास।

इधर इन सब बातों से बेख़बर रामदेव सीधा हलवाई के घर पहुंचा व रात्रिभोज की बात बतायी। अचानक रात्रिभोज की बात सुनकर हलवाई ने पूछा- किस खुशी में यह रात्रिभोज दिया जा रहा है भइया।

रामदेव ने सिर हिलाते हुए कहा अरे हमारे सागर ने मैट्रिक की परीक्षा में पूरा ज़िला टॉप किया हैए इसलिये आज गांव वालों को रात्रिभोज के लिये निमंत्रण दिया है।

हलवाई भी रामदेव की खुशी में शामिल होते हुए बोलाए अच्छा.अच्छा गांव में तो इस बात की काफी चर्चा चल रही है।

रामदेव रात्रिभोज का समय बताकर कहता है अच्छा मैं चलता हूं आप तुरंत घर आ जाओ। 

हलवाई को सारी बातें समझा कर रामदेव घर पहुंचा। सांझ ढलते-ढलते गांव के इक्का.दुक्का लोग आना शुरू हो गयें। सभी लोग सबसे पहले सागर के सिर पर हाथ फेर कर उसे बधाइयां देते हैं।

काफी लोग वहां पर इकठ्ठा हो कर गप्पे हांकने लगे। रामदेव के घर की रौनक काफी बढ़ गयी। लोग अलग-अलग ग्रुप में बैठकर सागर और सागर के पिता की तारीफ करने लगे। गांव के सभी लोग रात्रिभोज में पहुंच चुके थे। तभी गांव के प्रधान भी सागर के घर पहुंच गये। अलग-अलग बैठे लोगों ने प्रधान जी का अभिवादन किया।

प्रधान जी ने चुटकी लेते हुए पूछा -अरे क्या अलग.अलग गुटर.गूं चल रही है। यह तो सागर और उसके परिवार की मेहनत का नतीजा है। तब तक सागर उनके पैर छूता है। आशीर्वाद देते हुए प्रधान जी ने कहा ‘ऐसे ही मन लगाकर पढ़ाई करो। तब तक प्रधान जी की नज़र सागर के पिता पर पडी।

रामदेव ने प्रधान जी को नमस्ते करते हुए कहा -आइये-.आइये बैठिये प्रधान जी।

प्रधान जी कुर्सी पर बैठते हुए सागर के पिता की तरफ देखते हुए कहा कि आपके सागर ने तो पूरे ज़िले में टॉप करके हमारे गांव का नाम रोशन कर दिया है। हर किसी जुबान पर सिर्फ सागर का ही नाम ही है। पास खड़े सागर के सिर पर हाथ फेरते हुए प्रधान जी ने कहा- तुमने गांव की इज़्ज़त को बढ़ाया है तुम वाकई बहुत होनहार छात्र हो।

अपने बेटे का तारीफ सुनने के बाद रामदेव ने कहा-बस आपका आशीर्वाद है प्रधान जी। 

प्रधान जी ने सागर को निहारते हुए कहा-रामदेव यह तुम्हारी और सागर की मेहनत का ही नतीजा है। े।

अपने बेटे का तारीफ सुनने के बाद रामदेव ने कहा-बस आपका आशीर्वाद है प्रधान जी। 

प्रधान जी ने सागर को निहारते हुए कहा-रामदेव यह तुम्हारी और सागर की मेहनत का ही नतीजा है।
क्रमश

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