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आज जाने माने सुपर स्टार और पूर्व केन्द्रीय मंत्री विनोद खन्ना का जन्मदिन है। श्री खन्ना पूर्व प्रधानमत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे। 2002 मे उन्हें कल्चर व टूरिज्म विभाग का मंत्री बनाया गया। बाद में उन्हें केन्द्रीय विदेश में राज्य मत्री बनाया गया। फिल्मों में नाम कमाने के बाद विनोद खन्ना ने राजनीति की ओर रुख किया। भाजपा मे शामिल होने के बाद उन्होंने 1998 से लेकर 2009 तक और 2014 से 2017 तक गुरदास पुर से संसदीय चुनाव लड़ और जीता। भाजपा ने उनकी लोकप्रियता को जम कर भुनाया। पंजाब में विनोद खन्ना भाजपा के एक बड़े चेहरा थे।
भारत फिल्मोद्योग में विनोद खन्ना किसी परिचय के मोहताज नहीे हैं। उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता और प्रतिभा के जरिये बॉलिवुड में एक अलग पहचान बनायी। इतना ही नही उन्हे लोग सुपर स्टार भी मानने लगे थे। उस समय बिग बी यानि अमिताभ बच्चन का सितारा उरोज पर था। विनोद खन्ना का लंबा कद और मजबूत बदन उनके व्यक्तित्व मे चार चाद लगा देता था। साठ के दशक मे उन्होने गुलाजर की लिखित फिल्म मेरे अपने में एक छोटा सा किरदार किया था। उस फिल्म मे बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा भी थे दोनों ही यंग और प्रतिभाशाली कलाकार थे। मेरे अपने फिल्म को लोगोे ने काफी पसंद किया। इस फिल्म में मोहल्ले के गली गुंडे छैनू की कहानी थी। छैनू का रोल शत्रुघ्न सिन्हा ने और श्याम का रोल विनोद खन्ना ने निभाया था।
विनोद खन्ना को जंम 6 अक्टूबर 1946 को पंजाब के खन्ना गांव मे हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है। पजाब में अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। बाद में फिल्मों में दिलचस्पी होने के कारण वो बंबई आ गये और वहां कॅरियर बनाने के लिये संघर्ष करने लगे।
जब उनका फिल्मी सफर बहुत ही सफलता से चल रहा था उन्होंने बॉलिवुड से दूरी बना ली और आत्मीय शांति के लिये उन्होंने आचार्य रजनीश के आश्रम में शरण ले ली। काफी दिनों तक वो रुपहले पर्दे से गायब रहे। विनोद खन्ना को दो फिल्म फेयर अवार्ड भी मिले। इसके साथ ही वो अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के बाद सबसे महंगे अभिनेता बने। फिल्मों में उन्हें सबसे ज्यादा पहचान मेरा गांव मेरा देश से मिली। इस फिल्म में उन्होंने जग्गा डाकू का किरदार निभाया और फिल्मी दुनिया मे विलेन के रूप मे छा गये। लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी विलेन की छवि को छोड़ हीरो वाले किरदार करना शुरू कर दिया। उनको फिल्म अचानक के लिये काफी प्रशंसा मिली। इसके बाद उन्हें कच्चे धागे, हत्यारे, इम्तिहान, गद्दार, मुकद्दर का सिकंदर, अमर अकबर एंथनी, राजपूत, खून पसीना, द बर्निंग ट्रेन, कुर्बानी, कुदरत परवरिश दयावान जुर्म और चांदनी जैसी सफल फिल्मों में अहम् किरदार किये।
ओशो आश्रम से लौट कर फिल्मों में उन्होने वापसी की। सत्यमेव जयते और इनसाफ जैसी सफल फिल्में दीं। अपने फिल्मी कॅरियर के आखिरी दिनों में वांटेड और दबंग जैसी सुपरहिट फिल्मों में शानदार काम किया। 2018 मे विनोद खन्ना को मरणोपरांत भारतीय फिल्म उद्योग का सबसे बड़ा पुरस्कार दादा साहब फाल्के से नवाजा गया। विनोद खन्ना एक बेहतरीन कलाकार के रूप मे हमारे दिलो में सदा बने रहेंगे।

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