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कोचिंग संस्थान के खिलाफ मामला क्यों नहीं दर्ज
सोमवार को कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे तीन छात्रों मे फांसी लगा कर जान दे दी। इस घटना से हर कोई स्तब्ध है कि कारणों से छात्र अपनी जान देने पर मजबूर हो रहे हैं। इस मामले में कांग्रेस के विधायक भारत सिंह कुंदनपुर ने अपनी सरकार से गंभीर सवाल किये हे। कोटा एमएलए भारत सिंह कुंदनपुर ने सवाल किया है कि यह पहली बार का मामला नहीं है कि जब छात्रों ने अपनी जान गंवाई है। इस मामले में कोचिंग संस्थानों की भी भूमिका संदिग्ध है। संस्थान और पुलिस की भी मिलीभगत भी सामने आयी है। आज तक किसी भी मामले में पुलिस ने किसी भी कोचिंग संस्थान के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है। विधायक कुंदनपुर ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि ये कोचिंग संस्थान वाले धन संपन्न होने के साथ राजनीतिक रसूखदार भी हैं जिसकी वजह से पुलिस इनके खिलाफ कोई मामला दर्ज करने से कतराते हैंं। मंगलवार को जिन तीन बचचों ने हास्टल के वाशरूम में फांसी लगा कर जान दी हैं उनमें दो बिहार के ओर एक मध्यप्रदेश का छात्र है। भरतपुर केजगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कालेज में एमबीबीएस फाइनल इयर के छात्र ने भी खुदकुशी कर जान दे दी है।

खबर के अनुसार राजस्थान के कोटा में मेडिकल और इंजनियरिंग की तैयारी करने वाले तीन बच्चों ने फांसी लगा कर जान दे दी जिसने भी यह न्यूज सुनी या देखी वो दुखी हो गया। कोटा के अलावा भरतपुर मेडिकल कालेज के अंतिम साल के छात्र ने भी अपने बाथरूम में फांसी लगा कर जान दे दी। इन दोनों घटनाओं को सुन कर लोगों के कलेजे मुंह को आ गये। हर कोई बस यही कह रहा है कि आखिरकार बच्चों पर किस बात का इतना दबाव है जो अपनी जान तक देने से नहीं चूक रहे हैं।
कॅरियर को लेकर घर का बेजा प्रेशर
आज के समय में बच्चों के कॅरियर को लेकर माता पिता इतने ज्यादा बेचैन रहते हैं कि वो किसी भी सूरत में अपने बच्चों में अपना सपना पूरा करने की पुरजोर कोशिश करते हैं। उनके दबाव के साथ बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर भी होता है। खासतौर कंपीटेटिव स्टडी में। कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों में एक दूसरे से आगे निकलने या नंबर लाने की होड़ लगी रहती है। ऐसे में वो बच्चे जिनमे थोड़ा भी आत्म विश्वास कम होता है वो ये सोचते हैं कि अगर उनका सिलैक्शन किसी जगह नही हुआ तो जीने का उद्देश्य ही नहीं रहेगा। बस उसी आत्म ग्लानि में वो जान देने का निर्णय ले लेते हैं।