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मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं दिन ब दिन बदहाल होते जा रहे हैं लेकिन शिवराज सरकार इस ओर कतई ध्यान नहीं दे रही है। उसे तो किसी तरह चुनाव जीतने की चिंता रहती है। आये दिन यह समाचार टीवी और समाचार पत्रों में दिखता है कि लोग शव वाहन न मिलने की वजह से डेड बॉडी को कभी साइकिल पर, हाथ वाले ठेले पर, तो कभी कंधे पर ले जाने पर मजबूर होते हैं। लेकिन सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के बजाए लोगों के बीच दूरियां बढ़ाने और मंदिर मस्जिद की राजनीति करने में व्यस्त रहती है।
ताजा मामला छातरपुर का सामने आया है। वहां एक युवक अपनी बहन के बच्चे को इलाज के लिये सरकारी अस्पताल ले गया। वहां बच्चे का उपचार के दौरान निधन हो गया। उस युवक को शव वाहन देने से अस्पताल प्रबंधन ने मना कर दिया। ऐसे में युवक शव कंघे पर रख कर घंटों अस्पताल परिसर मे घूमता रहा किसी अधिकारी ने उसकी कोई मदद नहीं की। बताया जाता है कि शव वाहन वाले ने युवक से हजारों रुपये की मांग की थी जो युवक के पास नहीं थे। युवक के पास अपने घर जाने का किराया तक नहीं था। सारा पैसा उसने बच्चे के इलाज मंे लगा दिया था। कुछ लोगों ने उसे बस का किराया दे कर उसे बस में बैठा दिया। तब जाकर वो युवक बच्चे का शव अपने घर ले जा सका। सरकार की आम जनता के प्रति जोे निष्ठुरता और दयाहीनता सामने आयी है उसकी लोग जमकर निंदा कर रहे है। यह दृष्य सरकार की जनता के घोर लापरवाही बताया जा रहा है।

दूसरी वारदात 17 अक्टूबर को दिनेश भारती नाम का युवक अपनी पत्नी मीना भारती की डिलीवरी कराने के लिए सिंगरौली के जिला अस्पताल पहुंचा था। दिनेश का आरोप है कि जिला अस्पताल में पदस्थ स्टाफ की नर्स ने पर्ची काटने के नाम पर मरीज के परिजनों को अस्पताल में पदस्थ चिकित्सक डॉ. सरिता शाह के निजी क्लीनिक में भेज दिया, जहां चिकित्सक ने मरीज के परिजनों से 200 रुपए की फीस ली और जब पर्ची काटी गई और अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट डॉक्टर ने देखी तो पता चला बच्चे की मौत मां की कोख में हो चुकी है। बच्चे की मौत हो जाने की बात पता चलते ही डॉक्टर सरिता शाह के निजी क्लीनिक के स्टाफ ने उन्हें 5 हजार रुपए दिए और वापस जिला अस्पताल भेज दिया। जहां दिनेश की पत्नी भारती ने मृत बच्चे को जन्म दिया। मृत बच्चे के शव को लिए माता-पिता अस्पताल में यहां वहां भटकते रहे और शव को घर ले जाने के लिए वाहन दिलाने की गुहार लगाते रहे लेकिन स्टाफ ने एक न सुनी और उल्टे एंबुलेंस न होने की बात कहकर उन्हें वहां से रवाना कर दिया।

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