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पूरे देश में यह चर्चा चल रही है कि चुनाव परिणाम आने के देा माह बाद ही मोदी शाह यूपी में भी बड़ा बदलाव करने की प्लानिंग कर रहे हैं। ये कह कर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सनसनी फैला दी है। लोकसभा चुनाव में वैसे भाजपा इंडिया ब्लाक की बढ़ती लोकप्रियता से बुरी तरह बौखलाई हुई है। दूसरी ओर 11 मई को यह बयान दे कर भाजपा को हिला कर रख दिया है। अरविंद केजरीवाल ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह कहा कि लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद यदि मोदी सरकार फिर से आयी तो देशवासियों को तो झटका लगेगा ही साथ मोदी शाह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटा कर दिल्ली लाने की साजिश बना रहे हैं। केजरीवाल ने आगे कहा कि अगल साल सिंतंबर में नरेंद्र मोदी वर्तमान में 75 साल के होने वाले हैं। भाजपा में मोदी शाह ने भाजपा में 75 साल के नेताओं को कोई जिम्मेदारी न देना का नियम बनाया था। उसके तहत एलके आज्ञडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा, पूर्व सीएम शांता कुमार आदि को सक्रिय राजनीति से बाहर कर दिया था। इसके पीएम एक साल बाद पीएम पद छोड़ देंगे। और अमित शाह को अपना उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश करेंगे। लेकिन यूपी के सीएम योगी भी पीएम बनने की रेस में आगे चल रहे हैं।

योगी बने मोदी शाह की आंखों की किरकिरी
अमित शाह को पीएम बनाने की राह में योगी सबसे बड़े रोड़े हैं। उनको रास्ते से हटाने के लिये केन्द्रीय नेतृत्व विधान सभा चुनाव के पहले ही योगी को हटाने की योजना बनायी थी। लेकिन योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता और स्वीकार्यता के आगे उनकी एक न चली। योगी ने अपने नेतृत्व में वो इतिहास बना दिया जो आज तक किसी राजनीतिक दल बनाने में विफल रहे।
योगी को ठिकाने लगाना ही पड़ेगा
इससे मोदी शाह ने अपनी प्लानिंग कुछ समय के लिये टाल दी। अब यह तय है कि मोदी शाह को पीएम बनाने की फिराक में दिख रहे हैं उसके लिये योगी को ठिकाने लगाना ही पड़ेगा। यह भी तय है कि योगी को यूपी से बेदखल करना इतना आसान नहीं होगा। लेकिन ये दोनों गुजराती अपनी धुन के पक्के हैं। इसका जीता जागता नमूना राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मोदी शाह कर चुके हैं। शिवराज चौहान, वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह का राजनीतिक भविष्य चौपट कर दिया है।
मोदी की गारंटी को कौन पूरा करेगा
दस मई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत देते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार की अनुमति दे दी। इससे आम आदमी पार्टी को संजीवनी मिल गयी है। ऐसा लोग चर्चा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उनके निशाने पर बीजेपी और अमित शाह आ गये हैं। उन्होंने 11 मई को ही ये बयान दे कर सबको चौंका दिया कि मोदी की गारंटी को कौन पूरा करेगा। क्यों कि अगले साल 2025 में मोदी जी 75 साल के हो जायेंगे तो उनका रिटायरमेंट हो जायेगा। जैसा कि नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद पार्टी में यह तय कर दिया कि जो वरिष्ठ नेता 75 साल का हो जायेगा उसे पार्टी कोई जिम्मेदारी नहीं देगी। इसी क्रम में उन्होंने पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगा दिया। सवाल चूंकि बहुत ही सामयिक और तीखा था तो तुरंत अमित शाह ने इस पर तुरंत जवाब दिया उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन को मोदी जी के रिटायरमेंट के बारे में सोच कर खुश नहीं होना चाहिये। मोदी जी कहीं नहीं जाने वाले हैं। 2029 के बाद भी देश के पीएम बने रहेंगे। मोदी की गारंटी को वही पूरा करेंगे। केजरीवाल के इस चुभते हुए सवाल ने देश में इस बात पर चर्चा शुरू हो गयी है कि मोदी के बाद भाजपा के किस नेता को पीएम का ताज पहनाया जायेगा। अगले दिन ही केजरीवाल ने यह कह कर भाजपा पर हमला किया कि चुनाव के दो माह के भीतर ही मोदी शाह का अगला शिकार यूपी के सीएम योगी होने वाले हैं। भाजपा को ऐसे वक्त में ऐसे सवालों के लिये बिल्कुल भी तैयार नहीं है। वैसे भी उसका चार सौ पार का नारा फेल हो गया है। फिलहाल केजरीवाल 1 जून तक चुनाव प्रचार करने के लिये जेल से बाहर आ गये हैं वो रोज इसी तरह के हमले मोदी सरकार और भाजपा पर करते रहेंगे। मोदी शाह के लिये अब राहुल गांधी, प्रियंका, लालू यादव अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, ऊद्धव ठाकरे और शरद यादव के साथ अरविंद केजरीवाल के हमलों से बचना होगा।
भाजपा में अगला पीएम उम्मीदवार कौन
केजरीवाल यहीं तक नहीं रुके उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपने लिये वोट नहीं मांग रहे हैं वो अपने खास और करीबी नेता अमित शाह के लिये जनता से वोट मांग रहे हैं। ये बात तो जग जाहिर है कि अमित शाह का पार्टी में कद हो सकता है कार्यकार्ता उनसे प्रभावित हो कर डरते हों लेकिन लोकप्रियता में वो अन्य नेताओं के मुकाबले कहीं नहीं टिकते हैं। वो पीएम मोदी के करीबी और खास हो सकते हैं लेकिन जनता में वो लोकप्रिय नहीं हैं। पीएम शाह के लिये जमीन पुख्ता कर रहे हैं। ये बात तो सभी जानते हैं कि भाजपा केवल तीन लोगों के इशारो पर चलायी जा रही है। मोदी शाह और नड्डा ने सरकार और पार्टी को अगवा कर लिया है। पिछले कई सालों का आकलन करें तो भाजपा की सारी रणनीति मोदी शाह ही तय करते हैं। पिछले साल हुए पांच विधानसभा चुनावों में मोदी शाह ने ही नियंत्रण रखा। चुनाव परिणाम आने तक केन्द्रीय नेतृत्व ने पकड़ बनाये रखी थी।