मध्य प्रदेश में सियासी उठा पटक, प्रदेश मे फिर से शिव राज
सोमवार की देर शाम शिवराज चौहान ने चौथी बार प्रदेश् की बागडोर संभाल ली है। भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चौहान को यह एहसास दिलाया कि वो उनके हमेशा साथ हैं। दोनों ही लोगों ने अपने अपने ट्वीट में कहा सत्यमेव जयते। सिंध्यिा ने कहा कि प्रदेश सरकार जनसेवा के मुद्दे से भटक गयी थी। इसलिये सरकार बदलना जरूरी था। सिंधिया के इशारों पर भाजपा में शामिल हुए विधायक का आगे क्या रोल होगा इस बात को देखना रह गया है। महाराजा के कहने पर कांग्रेस से विश्वासघात करने वाले 22 विधायकों को क्या भाजपा के अंदर वो सम्मान मिल सकेगा जो कांग्रेस में उन्हें मिलता था।
चर्चा में है कि सिंधिया कांग्रेस से बदला लेने के लिये भाजपा में शामिल तो हो गये लेकिन क्या भाजपा के बड़े नेता सिंधिया को बर्दाश्त कर पायेंगे। सिंधिया के शामिल होते ही प्रदेश भाजपा में बगावत के सुर सुनायी देने लगे थे। यहां तक कि पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रभात झा जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी थे ने अपनी नाराजगी भी आलाकमान को जता दी थी लेकिन उनकी बात पर पार्टी नेतृत्व ने कोई ध्यान नहीं दिया। यह भी सुनने में आया कि प्रभात झा हालात से इतने ज्यादा दुखी हैं कि वो भाजपा से इस्तीफा भी दे सकते हैं।
भाजपा ने कांग्रेस के बागियों के सहयोग से प्रदेश में सरकार तो बना ली लेकिन कितने बागियों को वो मंत्रिमंडल मे लेंगे। यदि 22 बागियों को शिव राज में मंत्री बनाया गया तो अपने विधायकों को कहां एडजस्ट करेंगे। बागी विधायकों में छह लोग कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे। उनका तो मंत्री बनना तय है। बाकी विधायकों में भी मंत्री बनने की लालसा जगी हुई है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें लगेगा कि कमलनाथ के साथ धोखा देना ठीक नहीं था। ऐसे में शिवराज के लिये पार्टी विधायकों और बागी विधायकों का तालमेल बिठाना आसान नहीं होगा। ऐसे में भाजपा में भी फूट पड़ सकती है और वो पार्टी दोड़ कर कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। आज के समय में पार्टी का किसी भी नेता को मोह नहीं है उन्हें तो इससे मतलब है कि कौन सी पार्टी उन्हें क्या आफर कर रही है।