
देश की राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक सरकार हैै। पिछले साढे चार साल में दिल्ली सरकार का दावा है कि उसने जनता के लिये काफी काम किया है। लेकिन कांग्रेस और भाजपा तो पानी पी पी कर कोस रहे हैं। आये दिन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहते हैं ऐसे में दिल्ली सरकार केन्द्र और भाजपा पर सहयोग न करने का आरोप लगाती रही है। पिछले कई सालों में आम आदमी पार्टी के अनेक विधायकों व नेताओं ने पार्टी नेतृत्व और केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए बगावत की। उनमें कई ने भाजपा का दामन थाम लिया है। लोकसभा चुनाव के आस पास आप विधायक अनिल वाजपेयी और देवेंद्र सहरावत ने पार्टी छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर ली।
इसी कड़ी में एक और आप विधायक कपिल मिश्र ने भ यह संकेत दे दिये हैं कि वो विधानसभा चुनाव के आसपास पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम सकते है। कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। लेकिन उनसे इस्तीफा लेने के बाद से ही वो केजरीवाल, मंत्री सतेंद्र जैन और गोपाल राय के खिलाफ हो गये। केजरीवाल को टारगेट कर उन्होंने कई बार मुहिम भी चलायी। वैसे भी वो जन्मजात भाजपाई हैं। उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा एमसीडी में मेयर रह चुकी है। वैसे भाजपा नेता ये दावा कर रहे हैं कि आप के आधा दर्जन विधायक उनके संपर्क में है और कभी भी पाला बदल कर भाजपा में शामिल हो सकते है। इसी कड़ी में आप विधायक अल्का लांबा भी पार्टी विरोधी बयान देने के कारण सुर्खियां बटोर चुकी हैं। अल्का लांबा आम आदमी पार्टी में आने से पहले वो कांग्रेस की नेता रही है।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह अफवाह उड़ी थी कि वो पार्टी छोड़ फिर से कांग्रेस में जाने वाली हैं। लेकिन वहां भी शायद उनकी बात नहीं बनी। वो कई बार ऐसे बयान दे कर फंस चुकी हैं जिस पर पार्टी के अंदर से ही यह आवाज उठी कि वो पार्टी से इस्तीफा क्यों नहीं दे देती हैं पार्टी का नेतृत्व और पार्टी इतनी खराब है। वो चाहती थी कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप का समझौता हो जाये। पार्टी के संस्थापक नेता और कवि कुमार विश्वास का भी पार्टी से मोहभंग होगया। कहा जाता है कि वो राज्यसभा के उम्मीदवार बनना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हे अंगूठा दिखा दिया तभी से उनके सुर बगावती हो गये है। आजकल वो अपने कवि अंदाज में ही केजरीवाल और उनकी सरकार पर तंज कसते रहते हैं। उनके बारे में भी यह हवा उड़ी थी कि वो बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। लेकिन यह हवा सिर्फ अफवाह बन कर ही रही। वैसे वो बीजेपी के कई बड़े नेताओं के काफी करीबी माने जाते हैं।