एक बार फिर भाजपा अपने मंसूबे पूरे करने के लिये राजस्थान में खरीद फरोख्त का खेल खेलने जा रही है। एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस के बड़े नेता के बलबूते वो चुनी हुईसरकार को गिराने की साजिश रच रहे हैं। ऐसा कांग्रेस का कहना है। भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस से अपना घर संभाला नहीं जा रहा है। भाजपा पर साजिश करने का आरोप बेबुनियाद है। लेकिन यह आरोप कुछ हद तक सही भी लग रहा है। राजस्थान से पहले भाजपा ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों को बागी बनवाया और खरीदफरोख्त कर कमलनाथ सरकार को गिरा कर शिवराज को एक बार फिर से सीएम बना दिया। एक तरफ कांग्रेस अपने नेताओं और एमपी एमएलए को संभाल नहीं पा रही है वहीं भाजपा कांग्रेस के जयचंदों को अपने पाले में करती जा रही है। फिलहाल यह खबर आ रही है कि सचिन पाइलेट ने साफ कर दिया है कि वो भाजपा में शामिल नहीं होने जा रहे है। लेकिन इस बात से पर्दा नहीं उठाया कि वो कांग्रेस में रहें या नहीं।
राजस्थान में सीएम अशोक गहलौत व डिपटी सीएम सचिन पाइलेट के आपसी मतभेद इतने मुखर हो गये कि सरकार गिरने तक की नौबत आ गयी। पाइलेट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली आ गये। यह भी सुना जा रहा है कि सचिन पाइलेट बीजजेपी के संपर्क में भी है और बीजेपी सरकार बनवाने में समर्थन दे सकते है। अगर ऐसा होता है तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर सकती है। लेकिन अभी तक पाइलेट ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार बनवाने में सिंधिया ने अहम् किरदार निभाया था राजस्थान मे भी इसकी पुनरावृत्ति हो सकती है। यह बात और है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रहे या बचे बीजेपी की अपनी चाल सफल होती दिख रही है। यह भी सुनने में आ रहा है कि पाइलेट अपनी नयी पार्टी का गठन भी कर सकते है। लेकिन इससे पाइलेट को तो खास फायदा नहीं होगा हां कांग्रेस की सरकार का पतन हो जायेगा। वहीं भाजपा को फायदा ही फायदा होता दिख रहा है।
इसका सीधा और ताजा मामला गुजरात में देखने को मिला जहां राज्यसभा चुनाव के ठीक आसपास कांग्रेस के पांच विधायकों ने पार्टी छोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। इस लिये बीजेपी पर आरोप लगाना कि वो कांग्रेस एमपी व विधायकों को तोड रही है। बल्कि यह कहना सही होगा कि कांग्रेस का नेतृत्व अपने नेताओं को काबू पाने में असफल है।
इस साल होली के आसपास बीजेपी ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता पर डोरे डालते हुए अपनी पार्टी में शामिल कराया। पार्टी में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन वाले 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। हाल ही में हुए मध्यप्रदेश सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार मंं भी सिंधिया का प्रभाव साफ नजर आया। उनके समर्थक 12 विधायकों को सरकार में मंत्री बनाया गया यह बात और कि इससे भाजपा के विधायकों में भारी रोष देखा जा रहा है। सीएम शिवराज के लिये भी सरकार चलाना उतना आसान नहीं दिख रहा जितना देखने मे लगता था। उन्हें अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और विधायकों का गुस्सा भी झेलना पड़ सकता है।
2014 के आम चुनाव के दौरान भाजपा नेताओं ने पूरे देश में घूम घूम कर यह प्रचार किया था कि हमें एक बार मौका दीजिये हम देश को कांग्रेस मुक्त कर देंगे। धीरे धीरे भाजपा की यह मुहिम रंग ला रही है। मई 2014 के आम चुनाव में देश की जनता ने भाजपा व उसके सहयोगी लों को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका दिया। इसका नेतृत्व नरेंद्र मोदी को सौंपा गया। मोदी सरकार ने पूरे पांच साल सरकार चलायी और दूसरे टर्म में पहले से भी ज्यादा प्रदर्शन करते हुए मोदी सरकार पार्ट 2 शुरू हो गया।
एनडीए ने विपक्षी खींचतान का फायदा उठाते हुए जनता का समर्थन प्राप्त किया। इस बार भाजपा के नेताओं ने जनता के बीच जा कर यह प्रचार किया कि मोदी के मुकाबले में विपक्ष का कोई नेता नहीं है। इस बात को उन्होंने जनता के बीच ऐसा बोया कि मोदी के समर्थन में जनता ने सहयोग किया। लेकिन यह बात हर समय लागू नहीं हो सकती है कि अगेंस्ट मोदी हू। देवैगौड़ा जब प्रधानमंत्री बने तो देश के बहुत से लोग यह उनके बारे में नहीं जानते थे। फिर भी वो प्रधानमंत्री बने तब किसी ने सोचा था कि इंदिरा गांधी के आगे कौन आ सकता है। लेकिन फिर भी दैवेगोैड़ा पीएम बने। यह भी कहा जा सकता है कि कि भाजपा ने अन्य राजनीतिक दलों को इस कदर उलझा कर रखा कि वो एक नहीं हो पा रहे हैं। सत्ताधारी दल ने विपक्ष के दिग्गज नेताओं के पीछे सीीआई, ईडी और पुलिस के साथ ज्यूडिशयरी को भी लगा रखा है। मोदी सरकार और बीजेपी येन केन प्रकारेण अपने विरोधियों को या ठिकाने लगा रही या उन्हें अपने पक्ष में ला रही है।