बचपन में मैंने एक कहानी सुनी थी। उसमें एक बंदर और शेर का जिक्र था। जैसा कि हम सभी सुनते आ रहे हैं कि शेर जंगल राजा होता है। सभी जंगली जानवर शेर के आदेश को मानते हैं। शेर अपने परिवार के साथ मजे करता है और अन्य जानवर उनकी ताबेदारी करते है। यह सब तो सामान्य बात है। लेकिन ये सब बाते कुछ जंगली जानवरों को अखरती थी। उनमें सियार, गधा, लोमड़ी और बंदर भी थे। इन सभी का मानना था कि शेर की यह दादागिरी आखिर कब तक चलेगी।
यह सब सोच कर लोमड़ी, सियार और उनके साथियों ने यह फैसला किया किया। अबकी राजा के चुनाव में शेर को राजा नही चुना जायेगा। इस बार किसी अन्य जंगली जानवर को जंगल का राजा बनाया जायेगा। जब उनकी यह बात अन्य जानवरों को पता चली तो हाथी, भालू, चीता व अन्य जानवरों ने जंगल के राजा को बताया। शेर का माथा ठनका और उसने लोमड़ी, सियार, बंदर और गधे को पेश होने को कहा। राजा का आदेश सुन कर यह सभी जानवर शेर के दरबार में हाजिर हुए। शेर ने कहा किस की जुर्रत हुई कि जंगल राजा बनने की सोची। सियार और लोमड़ी ने कहा महाराज, आप तो जानते हैं कि अब आप बूढ़े हो गये हैं। आपसे शिकार भी नहीं हो पाता है। ऐसे में आपको आराम की जरूरत है। आप आराम से जंगल में रहें शान से परिवार के संग जीवन गुजारें हम सभी आपके भोजन की व्यवस्था कर देंगे। शेर को भी उन जानवरों की बात अच्छी लगी। अब वो आराम से जंगल में रहेगा। भोजन के लिये इधर उधर मारा मारा नहीं घूमना पड़ेगा।
अगले दिन सभी जानवरों की सहमति से नये राजा के चयन पर मुहर लग गयी। लेकिन समस्या अब यह थी नया राजा बनेगा कौन। लोमड़ी और सियार दोनों ही बहुत घाघ थे। उन्होंने तय किया कि वो राजा के नाम के लिये गधे या बंदर में से एक का नाम आगे रखेंगे। आखिरकार यह तय हुआ कि नये राजा के नाम के लिये बंदर सबसे ज्यादा ठीक जानवर है। क्योंकि बंदर समझदार और कद का छोटा जानवर है लोमड़ी और सियार पर कोई धौंस नहीं जमा सकेगा। शेर के साथ अन्य जानवरों ने लोमड़ी और सियार के कहने पर बंदर को जंगल का राजा बनाने की सलाह पर अमल कर दिया। बंदर को जंगल का राजा घोषित कर दिया गया। अब बंदर शान से दरबार में शेर के सिंहासन पर बैठ कर सारे मामले सुनता और फैसले करता। दोषी को सजा भी सुनाता। कुछ दिन तक सब ठीक चलता रहा।
लेकिन कुछ दिनों के बाद जंगल के राजा बंदर के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंची कि किसी ने उसके घोंसले को तोड़ दिया और अंडों को फोड़ दिया। बंदर ने कोयल की शिकायत बड़ी ही गंभीरता से सुना और दोषी के खिलाफ ऐक्शन लेने का भरोसा दिया। दो दिनों के बाद जंगल के अन्य जानवर भी राजा से शिकायत करने पहुंचे। उन सभी ने यह शिकायत की कि शेर उनके बच्चों को परेशान कर रहा है इतना ही नहीं उनके बच्चों को मार कर खा रहा है। बंदर ने उनकी बातों को गंभीरता से सुना और पेड़ की एक डाली से दूसरी डाली पर उछलने कूदने लगा। कुछ देर तक वो ऐसा करता रहा। जानवर अपनी शिकायत करने के बाद वहां से चले गये।
कुछ दिनों बाद लोमड़ी अपने राजा बंदर के पास शिकायत करने आयी। उसने कहा महाराज गजब हो गया। कल रात उनके घर पर शेर आया था उसने मेरे दो बच्चों को खा लिया। महाराज कुछ कीजिये। शेर का उत्पात बढ़ता ही जा रहा है। आये दिन किसी न किसी जानवर के बच्चों को शिकार बना रहा है। उसे सजा मिलनी ही चाहिये।
लोमड़ी की बात सुन कर बंदर एक बार फिर पेड़ की डालियों पर उछल कूद करने लगा। कुछ देर बाद बंदर अपने सिंहासन पर आ कर बैठ गया। लोमड़ी को देखते हुए कहा बहन लोमड़ी शेर ने तुम्हारे बच्चे को मार कर खा लिया मुझे बहुत अफसोस है। तुमने देखा कि मेरा पूरा प्रयास है कि जंगल में कोई जानवर किसी को नुकसान न पहुंचाये। मेरे प्रयासों में कोई कमी नहीं है। अब तुम अपना देख लो।
नोट—यह कहानी किसी भी तरह से राजनीति से प्रेरित नही है। कोई इसे अन्यथा न लें।