मार्च माह के अंत में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार का पतन हुआ और शिवराज चौहान की सरकार बनी थी। तब भाजपा और उनके नेताओं को लगा कि उनके अच्छे दिन आ गये हैं। लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते शिवराज सरकार के हालात काफी खराब हो गये हैं। लॉक डाउन के चलते सरकार का खजाना खाली हो गया है। सारे उद्योग धंधे चौपट हो गये। अब हालात इतने खराब हो गये कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन देने के लिये भी सरकार के पास बजट नहीं रहा है। सरकार ने इस संबंध में राज्यपाल को 15 मई को एक खत पत्रांक संख्या एफ 8—1/2018 नियम/चार लिखा है। इतना ही नहीं सरकार में केवल 5 मंत्री ही बनाये गये है। ऐसे में जिन विधायकों ने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा सरकार को समर्थन दिया था। उन्हें अब अपने फैसले पर अफसोस हो रहा होगा। न सरकार में हिस्सा मिला और कांग्रेस ने उन्हे गद्दार भी घोषित कर दिया। कोरोना वायरस से बचने के लिये केन्द्र सरकार ने पिछले दो माह से पूरे देश में तालाबंदी कर रखी है।
मध्यप्रदेश में मोदी और बीजेपी को झोली भर-भरके वोट देने में सरकारी कर्मचारी सबसे आगे रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बीच कमलनाथ सरकार गिरने पर सरकारी कर्मचारियों से ज़्यादा और कौन खुश था। अब शिवराज सिंह चौहान के राज में सरकार कंगाल हो गई। नीचे इस चिट्ठी को गौर से पढ़ें। सरकार के पास अपने ही कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नहीं हैं। केवल मरने पर ही बकाया सैलरी मिलेगी। शिवराज सरकार हर माह करीब 4500 करोड़ की तनख्वाह बांटती है। इस माह सरकार के खजाने में कुल 1100 करोड़ ही आये हैं।
यकीन से कह सकता हूं कि जल्द ही यही नौबत मोदी सरकार की भी आने वाली है।
तो फिर बजाइये ताली-थाली?
सौमित्र रॉय