
नयी दिल्ली। जब से केन्द्र में बीजेपी की सरकार आयी है तभी से लाला रामदेव का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ता जा रहा है। उनका नाम अब दुनिया भर के उद्योगपतियों में गिनती होने लगी है। ताजा मामला उनके फूडपार्क की जमीनों के आवंटन को लेकर चर्चा में आ रहा है। देश के नामचीन अखबार में पतंजलि की बेनामी जमीन का खुलासा किया गया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड में नितिन सेठी और कुमार संभव की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पतंजलि समूह ने हरियाणा के फरीदाबाद में अरावली क्षेत्र में 400 एकड़ से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण किया है। दिलचस्प यह है कि नियमानुसार इस जमीन का अधिग्रहण हो ही नहीं सकता है। यह जमीन वन विभाग की है और गांव की साझा भूमि है। कानूनन इस जमीन पर न तो कोई खेती कर सकता है न ही कोई व्यवसाय हो सकता है और न ही कोई इस जमीन को किसी के नाम अधिग्रहीत किया जा सकता हैं। जमीन का कब्जा भी किसी को दिया जा सकता है। लेकिन केन्द्र और प्रदेश सरकार ने सारे नियम कानूनों को धता बताते हुए 400 एकड़ जमीन पतंजलि समूह को कब्जा दे दिया गया। 2014—16 के बीच प्रदेश सरकार ने इस डील को अंजाम दिया।
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि गांव की साझा जमीनों को ग्राम पंचायतों को वापस सौंप दिया जाये। साथ ही यह भी आदेश किया कि ऐसी किसी भी सेल को अवैध करार दिया जाता है। लेकिन इसके बाद भी पतंजतलि समूह ने फर्जी कंपनियां बना कर इस जमीन पर कब्जा कर लिया है। अब सवालके यह उठता है कि बडे से बड़ा फूडपार्क 40 से 45 एकड़ में बनाया जा सकता है तो 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण पतंजलि समूह के नाम क्यों किया गया है।
दरअसल हर जगह इन्हें आवश्यकता से अधिक जमीन चाहिए और इस जमीन का टाइटिल भी अपने नाम पर रजिस्टर्ड चाहिए फ़ूड पार्क के नाम पर देश के हर बीजेपी शासित राज्य में इनके नाम जमीन कर दी गयी है। हिमाचल में 38 एकड़, मध्यप्रदेश में 40 एकड़, महाराष्ट्र में 600 एकड़, असम में 3800 हैक्टयर ओर भी राज्यो में बहुत सी जमीन यह अपने नाम अलॉट करवा चुके हैं यहाँ तक कि नेपाल में 2007 में ट्रस्ट को रियायती दर पर मिली जमीने बिल्डर्स को बेच चुके हैं।