भारत की प्रमुख दवा कंपनी सिप्ला लिमिटेड ने बुधवार को कहा कि उसने गिलीड साइंसेज के साथ कोविड-19 के इलाज की संभावित दवा ‘Remdesivir के विनिर्माण और वितरण के लिए गैर-विशेष लाइसेंसिंग समझौता किया है। अमेरिकी खाद्य एवं दवा प्रशासन (एफडीए) ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा को आपातकालीन उपयोग की स्वीकृति दी है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ”दुनिया भर में इस महामारी से पीड़ित मरीजों को जीवन-रक्षक इलाज उपलब्ध कराने के सिप्ला के प्रयासों के तहत यह समझौता किया गया है । समझौते के तहत सिप्ला को एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट) और अंतिम उत्पाद के विनिर्माण तथा भारत और दक्षिण अफ्रीका सहित 127 देशों में इसके विपणन की अनुमति मिलेगी। इन दवाओं का विपणन सिप्ला के ब्रांड नाम के तहत किया जाएगा।
जुलिबंट लाइफ साइंस के चेयरमैन श्याम भरतिया और मैनेजिंग डायरेक्ट हरी एस भरतिया ने कहा, हम दवा के क्लीनिकल ट्रायल और रेगुलेटरी मंजूरी पर नजर रखेंगे और मंजूरी मिलने के बाद दवा को लॉन्च कर दिया जाएगा। हमारी योजना देश में ही दवा के एपीआई (API) को तैयार करने की है। इससे रेमडेसिवीर की कीमत कम करने में मदद मिलेगी।
ऐसा है दवा का प्रभाव
बता दें कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए एक भारतीय-अमेरिकी चिकित्सक के नेतृत्व में किए गए विषाणु रोधी दवा ‘रेम्डेसिविर के तीसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। कैलीफोर्निया स्थित दवा कंपनी गिलीड साइंसेज ने बुधवार को कहा कि प्रारंभिक परिणामों से पता चला कि ‘रेम्डेसिविर दवा की पांच दिन की खुराक के बाद कोविड-19 के मरीजों में से 50 प्रतिशत की हालत में सुधार हुआ और उनमें से आधे से अधिक को दो सप्ताह के भीतर छुट्टी दे दी गई।
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान के बजट से 6 गुना है भारत का राहत पैकेज, 20 लाख करोड़ में होते हैं इतने जीरो
तीसरे चरण के परीक्षण को दवा को स्वीकृति मिलने की प्रक्रिया में अंतिम कदम कहा जाता है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन के क्लिनिकल प्रोफेसर एवं अध्ययन में शामिल अग्रणी अनुसंधानकर्ताओं में से एक अरुणा सुब्रह्मण्यन ने कहा कि ये परिणाम उत्साहजनक हैं और संकेत करते हैं कि जिन मरीजों ने ‘रेम्डेसिविर दवा का पांच दिन तक सेवन किया, उनकी हालत में 10 दिन तक दवा का सेवन करनेवालों की तरह ही सुधार हुआ।