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वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही के दौरान बैंक में कुल जमा में होने वाली ग्रोथ को बड़ी गिरावट का शिकार होना पड़ा है। कोरोना के दौर में जहां लोगों की आमदनी घटने से बचत ही उनके खर्च का सहारा हो सकता था वो भी अब दूसरे निवेशों में फंस गई है। ऐसे में आने वाले महीनों में आर्थिक हालात बेहद चुनौती पूर्ण रहने वाले हैं।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से मार्च की तिमाही में बैंकों में कुल जमा की ग्रोथ में 50 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है। ये माइनस 53 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि ठीक पिछली तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के दौरान इसमें 9.7 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। वहीं, वित्तवर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में इसमें 67.1 फीसदी की बढ़त देखी गई थी। पूरे वित्त वर्ष की बात की जाए तो जमा में ग्रोथ पिछले वित्त वर्ष के 10 फीसदी के मुकाबले इस वित्त वर्ष में करीब 8 फीसदी पर आ गई है।
कमाई घटी
केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने हिंदुस्तान से बातचीत में कहा कि डिपॉजिट ग्रोथ में ये बड़ी कमी देखने को मिली है। उनके मुताबिक वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में म्युचुअल फंड में निवेश काफी बढ़ा था ऐसे में संभव है कि लोगों ने बैंक से जमा रकम निकालकर म्युचुअल फंड में निवेश किया हो।
ब्याज दरें घटने से म्युचुअल फंड में लगाया पैसा
प्रणब सेन ने ये भी कहा कि पिछले 1 साल से बैंक में जमा पर ब्याज दरें भी घट रही हैं ऐसे में लोगों ने बैंक में जमा बचत को म्युचुअल फंड में लगान शुरू कर दिया। कोरोना के बाद शेयर बाजार में गिरावट आने से फिलहाल लोगों के हाथ की कुल बचत घट गई है। इसका नतीजा ये हुआ है कि कोरोना के दौर में जो लोग आमदनी घटने का संतुलन बैंक में जमा अपनी पूंजी से बना सकते थे, वो भी पूरी तरह से बिगड़ गया है।
आने वाले दिनों में होगा सुधार
उन्होंने यह भी उम्मीद जताई है कि हालात सुधरने से लोग आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव वाले निवेश से निकलकर वापस बैंकों में जमा करने की तरफ बढ़ेंगे। इसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं।
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