जफरूल इस्लाम खान को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन पोस्ट से हटाने की प्रक्रिया शुरू


Edited By Naveen Kumar Pandey | पीटीआई | Updated:

DMC चेयरमैन जफरूल इस्लमा खान। (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स

  • दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन को पद से हटाने की कार्रवाई शुरू
  • जफरूल इस्लाम खान ने फेसबुक पर भड़काऊ और राजद्रोहपूर्ण पोस्ट किए
  • दिल्ली के उपराज्यपाल ने मामले का संज्ञान लेकर आप सरकार को निर्देश दिया
  • सरकार को जफरूल इस्लाम को पद से हटाने की कार्रवाई शुरू करने की निर्देश दिया था

नई दिल्ली

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (DMC) के चेयरमैन जफरूल इस्लाम खान को उनके पद से हटना पड़ेगा। सरकार ने उनके कथित राजद्रोह वाले सोशल मीडिया पोस्ट पर संज्ञान लेते हुए उन्हें पद से हटाने की कानूनी-कार्रवाई शुरू कर दी है। इसकी जानकारी आज दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को दी।

दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को दी जानकारी

सरकार ने हाई कोर्ट में दावा किया गया कि जफरूल इस्लाम खान को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस दावे के बाद हाई कोर्ट ने उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें खान के कथित राजद्रोही पोस्ट के लिए उन्हें इस पद से हटाए जाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। प्रदेश की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने जफरूल इस्लाम को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।

DMC ऐक्ट के सेक्शन 4 के तहत जफरूल पर ऐक्शन

दिल्ली उच्च न्यायलय के जस्टिस राजीव सहाय ऐंडलॉ और जस्टिस संगीता धींगड़ा सहगल की पीठ ने इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार का पक्ष रहे वकील अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर डीएमसी चेयरमैन जफरूल इस्लाम के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। श्रीवास्तव ने कहा कि एलजी ने यह पत्र 30 अप्रैल को ही लिखा जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वो संबंधित विभाग को डीएमसी ऐक्ट की धारा 4 के तहत जफरूल के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दें। यह धारा आयोग के चेयरमैन या सदस्य को पद से हटाए जाने से संबंधित है। जफरूल का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने वाला है।

एलजी ने जफरूल को भेजा कारण बताओ नोटिस

दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि एलजी ने खुद भी जफरूल को 8 मई को एक कारण बताओ नोटिस जारी पूछा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए। हाई कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने अथॉरिटीज को उचित समय के अंदर फैसला लेने का निर्देश देते हुए वह याचिका निपटा दी जिसमें जफरूल को हटाने के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था 8 अप्रैल के जफरूल ने सोशल मीडिया के अपने ऑफिशल पेज पर देश के खिलाफ और घृणा फैलाने वाला पोस्ट किया। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखी चिट्ठी में कहा कि जफरूल का सोशल मीडिया पोस्ट प्रथम दृष्ट्या शहर में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला लगता है। यह मामला इसलिए विशेष तौर पर गंभीर है कि ऐसा उस व्यक्ति ने किया जिस पर दिल्ली में सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने की जिम्मेदारी है।

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से लगाई थी गुहार

याचिकाकर्ता सुभाष चंद्रा सेवानिवृत बैंक अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि 2 मई को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजद्रोह एवं धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास और भाषा के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच घृणा फैलाने के आरोप में जफरूल के खिलाफ भारतीय दंड संहित (IPC) के सेक्शन 124A और 153A के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की है। याचिका में कहा गया, ‘एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद भी प्रतिवादी (जफरूल) ने 3 मई को कहा कि वो अपने बयान पर डटे हैं।’ याचिकाकर्ता ने कहा कि जफरूल का फेसबुक पोस्ट बिल्कुल उत्तेजनापूर्ण, जानबूझकर लिखा गया और राजद्रोह की प्रकृति का है जिसका मकसद सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़कर सामाजिक संघर्ष पैदा करना है।



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