सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मस्जिदों में अजान पर रोक लगाने वाले जिलाधिकारियों के आदेश को किया रद्द
  • हाई कोर्ट ने कहा कि मस्जिदों में अजान से कोविड-19 संबंधी गाइडलाइन का उल्लंघन नहीं होता है
  • कोर्ट ने अजान को धार्मिक स्वतंत्रता बताया, हालांकि लाउडस्पीकर की परमिशन नहीं है

प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाज़ीपुर, हाथरस और फर्रुखाबाद के जिलाधिकारियों के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके जरिए इन जिलों में मस्जिदों से अजान पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने रोक के आदेश को रद्द करते हुए मस्जिदों से अजान की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मस्जिदों में अजान से कोविड-19 की गाइडलाइन का कोई उल्लंघन नहीं होता है। कोर्ट ने अजान को धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ बताया। हालांकि, लाउडस्पीकर से अजान की अनुमति नहीं दी है।

हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ उन्हीं मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो सकता है, जिन्होंने इसकी लिखित अनुमति प्रशासन से ले रखी है। कोर्ट ने कहा कि जिन मस्जिदों के पास अनुमति नहीं है, वह लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकती हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि लाउडस्पीकर की अनुमति वाली मस्जिदों में भी ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।

मौखिक आदेश से लगाई गई थी रोक

रमजान के दौरान गाजीपुर के डीएम ने लॉकडाउन में मस्जिदों से अजान पर मौखिक आदेश से रोक लगा दी थी। आदेश के खिलाफ गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी ने ईमेल के जरिए हाई कोर्ट को पत्र भेजकर शिकायत की थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील सैयद वसीम कादरी ने भी इसी मामले में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद ऐसा ही मामला हाथरस और फर्रुखाबाद जिलों से भी आया। हाथरस और फर्रुखाबाद जिलों में इसी तरह की रोक के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने पत्र याचिका दाखिल की थी।

तीनों जिलों में डीएम ने मौखिक आदेश से अजान पर रोक लगा रखी थी। इस मामले में सरकार की ओर से अडिशनल ऐडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने बहस की। उन्होंने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा था कि अजान से लोगों के मस्जिदों में इकठ्ठा होने और लाक डाउन के उल्लंघन का खतरा है। जिसका याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सैयद सफदर अली काजमी ने विरोध किया।

5 मई को सुरक्षित रख लिया गया था फैसला

उन्होंने कोर्ट को बताया कि लाक डाउन के दौरान मस्जिदों में जमात में नमाज अदा नहीं की गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 5 मई को दोनों पक्षों को सुनने के बाद जजमेंट रिजर्व कर लिया था। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए याचिकाएं निस्तारित कर दी हैं।



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