लद्दाख में भारत-चीन के बीच बढ़ रहा तनाव, दोनों देशों ने बढ़ाई सैनिकों की संख्‍या


सांकेतिक तस्‍वीर
हाइलाइट्स

  • भारत और चीन ने लद्दाख में गलवान घाटी और पांगोंग त्‍सो झील के इलाके में अपने सैनिकों की संख्‍या बढ़ा दी है
  • इससे पहले 5 मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच मारपीट की घटना हुई थी जिसमें कई सैनिक घायल हो गए थे
  • अमेरिका ने इस क्षेत्र में मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह घटनाक्रम पर लगातार नजर रखे हुए है

नई दिल्ली

भारतीय और चीनी सेनाओं ने तीखी झड़प के करीब दो सप्ताह बाद आक्रामक रूख अपनाते हुए लद्दाख में गलवान घाटी और पांगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है। सैन्य सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। समझा जाता है कि भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं।

वहीं अमेरिका ने कहा कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन द्वारा पेश खतरे की याद दिलाता है। अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी ही नहीं होती है। चाहे दक्षिण चीन सागर हो या भारत के साथ लगी सीमा हो, हम चीन द्वारा उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं।

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झील में एक्‍स्‍ट्रा नाव भी ले आए

सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों ने पांगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी और यहां तक कि झील में अतिरिक्त नाव भी ले आए हैं। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर अधिक सैनिक तैनात किए हैं। गालवान के आसपास का क्षेत्र पिछले छह दशकों से दोनों पक्षों के बीच विवाद का बिंदु रहा है।

चीन ने लगाए बड़ी संख्‍या में टेंट

उन्‍होंने यह भी बताया कि चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगा दिए हैं। इसके बाद भारत ने भी इलाके में चौकसी बरतने के लिए अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने भारत द्वारा गलवान नदी के आसपास एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण पर आपत्ति जताई है।

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5 मई को हुई थी सैनिकों की झड़प

5 मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुयी। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए। दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव पर न तो सेना और न ही विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है। समझा जाता है कि विवादित सीमा की रक्षा में आक्रामक रूख के बीच उत्तरी सिक्किम के कई इलाकों में भी अतिरिक्त सैनिकों को भेजा गया है।



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