हांगकांग को रियायत देने के मूड में नहीं चीन, सख्त नियंत्रण कसने की तैयारी


हांगकांग पर और नियंत्रण कसने की तैयारी चीन कर रहा है.

हांगकांग में चीन सरकार के मुख्य दफ्तर के बाहर भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

नई दिल्ली: चीन ने साफ कर दिया है कि वह हांगकांग को अपनी पकड़ में जरा भी रियायत नहीं देगा बल्कि उसे और कसेगा. बीजिंग में चल रही नेशनल पीपल्स कांग्रेस की बैठक के दौरान हांगकांग में कानून व्यवस्था सुधारने का एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया. इस प्रस्ताव के मुताबिक चीन हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी प्रभाव के किसी भी मुद्दे के साथ बड़ी सख्ती से निपटेगा.

हालांकि हांगकांग स्वयत्तशासी क्षेत्र को लेकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाए जाने को लेकर बीजिंग से आ रही खबरों के साथ ही हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. इस प्रस्ताव के खिलाफ हांगकांग लेजिस्लेटिव हाउस कमेटी की बैठक में विरोध शुरू हो गया. लंबे समय बाद शुरू हुई कमेटी की बैठक में जब राष्ट्रगान विधेयक पर चर्चा हो रही थी तो लोकतंत्र समर्थकों ने बीजिंग के करी माने जाने वाले स्टारे ली के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इसके साथ ही हांगकांग में चीन सरकार के मुख्य दफ्तर के बाहर भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.हांगकांग प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नया कानून ‘एक देश, दो व्यवस्था’ के सिद्धांत की कमर तोड़ने वाला है. यह हांगकांग पर सीधे कानून थोपने की कोशिश है.

चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक पीपुल्स कांग्रेस में मसौदा प्रस्ताव पेश करने वाले स्टैंडिंग कमेटी के उपाध्यक्ष वांग चेन कहना है कि हांगकांग में बढ़ते राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे बड़ी चिंता बन रहे हैं. इसने एक देश, दो व्यवस्था की जड़ें हिला दी हैं. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और विकास हितों को प्रभावित किया है. ऐसे में खतरों से अधिक सख्त तरीके से निपटने की जरूरत है.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में रखे गए इस प्रस्ताव में वांग चेन ने मुख्यतः 6 सूत्र दिए हैं. इसके मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा की सख्ती से हिफाजत, एक देश-दो व्यवस्था के विधान को बनाए रखना और सुधारना, कानून के मुताबिक हांगकांग का प्रशासन, बाहरी दखल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, हांगकांग वासियों के वैध अधिकारों व हितों की रक्षा.

महत्वपूर्ण है कि 2019-2020 के दौरान लाए गए प्रत्यर्पण विधेयक के बाद से हांगकांग में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ. प्रत्यर्पण विधेयक के तहत किसी मामले में दोषी पाए गए हांगकांग के व्यक्ति को मुख्यभूमि चीन भेजने का प्रावधान था. जून 2019 में इसको लेकर शुरू हुआ विरोध का दौर लंबे समय तक जारी रहा. वहीं चीन ने इन विरोध प्रदर्शनों को विदेशी प्रभाव और दखल से चलाई जा रही गतिविधि बताते हुए दबाने की कोशिश कर रहा है.

हांगकांग को लेकर नए कानूनी बदलावों के संदर्भ में भारत स्थित चीन दूतावास प्रवक्ता जी रोंग ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी देश का मुख्य आधार है. चायना पीपुल्स कांग्रेस की 19वीं बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया था कि हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत करने और कानूनी ढांचा सुधारने की है. इसी कड़ी में चीन की सर्वोच्च संस्था नेशनल पीपुल्स कांग्रेस अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए चर्चा कर रही है.

जाहिर है कोरोना वायरस संकट के बीच बहुत से सवालों और मुश्किलों से घिरी चीन की शी जिनपिंग सरकार यह जताने में जुटी है कि उसपर इनका कोई असर नहीं है. साथ ही विरोध प्रदर्शनों कई आंच को मेनलैंड चाइना में आने से रोकने की बढ़ी फिक्र भी इन फैसलों में नजर आती है. हालांकि मौजूदा माहौल में हांगकांग के विरोध प्रदर्शनों को अधिक सख्ती से दबाने की कोशिश चीन के लिए मुसीबतें बढ़ा भी सकती हैय खासकर तब जबकि कोरोना वायरस संकट के चलते कई देश उस पर उंगलियां उठा रहे हैं.

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