छत्तीसगढ़ में माओवादी की ओर से अगवा किए गए सीआरपीएफ कमांडो के परिजनों समेत सैकड़ों लोगों ने बुधवार को सड़क जाम कर दी। इन लोगों ने प्रदर्शन करते हुए सरकार से मांग की है कि जल्दी से जल्दी कोबरा कमांडो राकेश सिंह मन्हास को रिहा कराया जाए। प्रदर्शन करते हुए परिजनों और अन्य लोगों ने मांग की है कि जिस तरह सरकार ने अभिनंद वर्धमान को पाकिस्तान से तत्काल रिहा कराया था, उसी तरह राकेश्वर सिंह को भी माओवादियों के कब्जे से मुक्त कराया जाए। मंगलवार देर रात को माओवादियों ने राकेश्वर को अगवा करने की पुष्टि की थी और सरकार से कहा था कि यदि वह वार्ताकार नियुक्त करती है तो बातचीत के बाद कमांडो को रिहा कर दिया जाएगा।

रविवार को नक्सली हमले में सीआरपीएफ और पुलिस के 22 जवान शहीद हो गए थे, जबकि मन्हास को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था। इस घटना में 31 जवान घायल भी हुए थे। जम्मू के लोअर बरनाई के रहने वाले मन्हास की पत्नी ने भी उनकी रिहाई के लिए सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। पत्नी ने भावुक अपील करते हुए कहा है कि यदि ड्यूटी में कभी एक दिन की देरी हो जाती है तो एक्शन होता है, लेकिन वह 4 दिन से अगवा हैं तो कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मन्हास की पत्नी मीनू ने कहा, ‘माओवादियों ने 4 दिनों से मेरे पति को अगवा कर रखा है, लेकिन उन्हें रिहा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।’

मन्हास की 5 साल की एक बच्ची है और वह परिवार में अकेले कमाने वाले शख्स हैं। उनकी मां ने भी सरकार से बेटे को रिहा कराने की अपील की है। उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ और नहीं चाहती। मैं सिर्फ अपने बेटे की वापसी चाहती हूं। सरकार कहां है? क्या इस सरकार के लिए एक जवान की जान की कोई कीमत नहीं है?’ राकेश्वर सिंह मन्हास के ससुर ने भी उनकी रिहाई अब तक न हो पाने पर गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने कहा, ‘क्या हमने इसी दिन के लिए सरकार को वोट किया था। हमारे बचाव के लिए कोई आगे नहीं आ रहा। वह मेरा दामाद है और हम उसकी वापसी चाहते हैं। बीते 4 दिनों से वह नक्सलियों के कब्जे में हैं, लेकिन उनकी रिहाई के लिए अब तक सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है।’

यह सरकार की आपराधिक चुप्पी है, क्यों खींच रहे हैं मामला
जम्मू में राकेश्वर की रिहाई की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हाथों में तिरंगे लेकर बरनाई चौक पर धरना दे दिया है। यही नहीं बीजेपी सरकार और केंद्र शासित प्रदेश के एलजी मनोज सिन्हा के खिलाफ नारेबाजी भी की। यही नहीं राकेश्वर की अब तक रिहाई न होने पर गुस्साए एक परिजन ने सरकार की ओर से एक्शन न लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह आपराधिक चुप्पी है। उन्होंने कहा, ‘उनकी मां ने उन्हें देश की सेवा के लिए भेजा था। हम गरीब लोग हैं, हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं है। लेकिन जब यह सरकार विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पाकिस्तान से ला सकती है तो फिर इस मसले को क्यों खींचा जा रहा है। हमारे बच्चे को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाना सरकार की जिम्मेदारी है।’





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