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सत्ता और चुनाव आयोग के गठजोड़ से देश बरबाद
सैंया भये कुतवाल तो डर काहे का
खुला खेल फर्रुखाबादी
सत्ता और सीईसी का गठबंधन
वोट चोर है केन्द्रीय चुनाव आयोग!
एक बार फिर से चुनाव आयोग पर धांधली करने का आरोप विपक्ष ने लगाया है। पिछले ही माह मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रिटायर हुए हैं। केचुआ पर तो पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव से ही धांधली करने का आरोप लगता रहा है। राजीव कुमार 2022 से मुख्य चुनाव आयोग के पद पर थे। विपक्ष ने हमेशा राजीव कुमार को शक के दायरे में रखा।
इंडिया गठबंधन के नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ऊद्धव ठाकरे संजय राउत और शरद पवार समेत लोगों ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाये हैं। लेकिन राजीव कुमार खुलकर सत्ता के लिये संकट मोचक बने रहे। विपक्ष का आरोप है कि वर्तमान में केन्द्रीय चुनाव आयोग ने अपनी साख खो दी है। चर्चा तो यह है कि अब जनता भी चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल करने लगा है। यह चर्चा आम है कि भाजपा ने चुनाव आयोग से मिलकर देश में अनेक चुनावों में जीत दर्ज की है। विपक्ष कहता है कि इस बात में कोई शक नहीं कि केन्द्रीय चुनाव आयोग पीएमओ की मंजूरी के बाद ही चुनाव कराने की तिथि और शेड्यूल तय करता है। ताजा मामला तो प बंगाल में देखने का मिला है जहां सीएम ममता बनर्जी ने धांधली के पुख्ता सुबूत दिखाते हुए कहा कि मोदी शाह की शह पर चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में महाघोटाला करना शुरू कर दिया है।
नये सीईसी ने भी धांधली शुरू कर दी
नये चुनाच आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ने गद्दी संभालते ही सरकार के प्रति अपनी वफादारी दिखानी शुरू कर दी है। जैसा कि सभी का मालूम है कि नये सीईसी ज्ञानेश कुमार गृहमंत्री अमित शाह के साथ पहले काम कर चुके हैं। इसके साथ ही उनकी घनिष्ठता अमित शाह से है। यही वजह है कि राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद ज्ञानेश कुमार कोे नया मुख्य चुनाव आयोग बनाया गया ताकि वो पूर्व सीईसी राजीव कुमार की तरह सत्ता के अनरूप विपक्ष को निपटाने में अहम् भूमिका निभायें। ऐसा ही ज्ञानेश कुमार ने करना भी शुरू कर दिया है। पं बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने तय है। उसके लिये टीएमसी और बीजेपी ने कमर कस तैयारी शुरू कर दी है। टीएमसी नेताओं ने यह पाया कि वोटर लिस्ट में स्थानीय लोगों के नाम काट कर उनकी जगह हरियाणा महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों का नाम दर्ज किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि एक ही एपिक नंबर पर दो दो वोटर दर्ज किये गये हैं। इस बात के खुलासे से चुनाव आयोग की साख मिट्टी में मिलती दिख रही है।
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