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पिछले तीन साल से कांग्रेस अध्यक्ष के बिना ही है। इसका काफी बुरा असर देखने केा मिला है। आम चुनाव हारने के बाद राहुल गांधी ने यह फैसला किया कि वो पार्टी अध्यक्ष पद पर नहीं रहेंगे। और उन्होंने 2 जुलाई 2020 को ट्विटर पर 4 पेज को इस्तीफा पोस्ट कर दिया। तब से अब तक कांग्रेस पार्टी पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं चुन पायी है। इस बात को पार्ट के संगठन और कार्यकर्ताओं पर काफी बुरा असर पड़ा है। ये भी देखा गया है कि 2019 के बाद जो भी चुनाव हुए उसमें कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाटक और मध्यप्रदेश में उनकी बनी बनायी सरकार को बीजेपी ने हड़प लिया। इसमे बीजेपी की चालबाजी तो थी तो कांग्रेस विधायकों की बेशर्मी भी उतनी जिम्मेदार है। जब बिकने को विधायक तैयार है तो खरीदार तो पहले से ही बोली लगाने है।
अब यह यह कोशिशें की जा रही हैं कि राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष पद संभालने के लिये तैयार किया जाये। इसके लिये राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात कांग्रेस वर्किंग कमेटियों ने यह प्रस्ताव पास किया कि राहुल गांधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभालें। अब यह तो तो कि कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी ही फेमिली से होगा। यह बात और है कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है। यह बात भी साबित हो जायेगी कि कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी ही परिवार का होता है बाहरी कांगेसी नेता के होने मौका बहुत ही कम होता है। अगर राहुल हामी भरते हैं तो पिछले एक साल से चुनाव की जो प्रक्रिया पार्टी में चल रही थी वो सब एक तमाशा ही था। यही सब सोच कर जो नेता पार्टी छोउड़ कर गये तो उनकी चिंता जायज थी।
कांग्रेस के लिये सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि चुनाव मे पहले तो नेता को जिताओ। बाद में एमएलए को बिकने से बचाओ। बीजेपी तो इस ताक में रहती है कि विपक्षी दलो के विधायकों को सपाम दाम दण्ड भेद नीतियों को इस्तेमाल कर बोली लगा कर खरीदफरोख्त में सफल रही है। इसमें काग्रेस के अलावा शिवसेना और जेडीयू के विधायकों पर विशेष निशाना रहा है।
एक बार फिर यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस को अगले माह तक एक पूर्णकालिक अध्यक्ष मिल जायेगा। यह एक यक्ष प्रश्न है कि वो गांधी परिवार का होगा या पार्टी का ही कोई और नेता। वैसे इस रेस में दो नाम तेजी से चर्चा में हैं पहला नाम राजस्थान के सीएम अशोक गहलौत और दूसरा नाम कांग्रेस सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर का है। अशोक गहलौत ने अपनी ओर से अध्यक्ष पद के लिये राहुल गांधी का नाम ही प्रस्तावित किया है।
जी 23 के अनेक दिग्गज नेताओं और पूर्व मंत्रियों ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। जिनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, जतिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, गुलाम नबी आजाद, सुनील जाखड़, कैप्टन अमरिंदर सिंह, आनंद शर्मा और ढेर सारे नेताओं ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है। यह भी कहा जा सकता है कि कांग्रेस पर जब संकट आया तो मलाई काटने वाले नेताओं ने पार्टी को छोड़ दिया। यह भी कहा जा सकता है कि जहाज जब डूबने वाला होता है तो सबसे पहले चूहे ही भागते हैं।