30 मई को नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार पीएम पद की कमान संभाल ली। उनके साथ साढ़े चार दर्ज मंत्रियों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इनमें कुछ लोग पहले भी मोदी सरकार में मंत्री थे। कुछ ऐसे भी बीजेपी एमपी पहली बार कैबिनेट में शामिल किये गये। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को मोदी सरकार 2 में गृह मंत्रालय विभाग दिया। पार्ट वन में यह विभाग राजनाथ सिंह के पास था। पार्ट 2 में राजनाथ को रक्षा मंत्रालय दिया गया है। पहली बार मंत्री बनने वालों में ओडिशा के प्रताप सारंगी और शिवसेना के अरविंद सावंत हैं। पूर्व विदेश सचिव जय शंकर को विदेश मंत्रालय की कमान दी गया है। मोदी सरकार 1 में 71 मंत्री थे लेकिन पार्ट 2 में 28 लोगों को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है। मोदी समेत 24 लोगों को कैबिनेट मंत्री और 9 को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 को राज्यमंत्री का पद दिया गया। अकाली दल से हरसिमरत कौर को मंत्रिमंडल में जगह मिली है।
हाल में ही आठ अहम् कमेटियां गठित की गयी जिनमें सिर्फ दो कमेटियों में राजनाथ सिंह सदस्य बनाये गये। लेकिन अमित शाह हर कमेटी में रखे गये। आठ कमेटियों में राजनाथ सिंह से जूनियर मंत्रियों को सदस्य बनाया गया था। इस बात से राजनाथ सिंह काफी आहत हुए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने तक की धमकी दे दी थी। मामला बिगड़ न जाये तुरंत संघ ने दखल दिया और राजनाथ को छह कमेटियों मे सदस्य बना दिया गया।
जेडीयू के किसी भी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया है। सुना जा रहा है कि जेडीयू से किसी एक नेता को मंत्री बनाने की पेशकश की गयी थी लेकिन नितीश कुमार ने बीजेपी के इस आफर को ठुकराते हुए कहा कि वह सम्मान के साथ सरकार में शामिल हो सकती है सांकेतिक तौर पर उसे सरकार में शामिल होना गवारा नहीं है। आम चुनाव 2019 में जेडीयू के 16 उम्मीदवार सांसद बने है। केसी त्यागी ने साफ तौर पर यह कह दिया है कि मोदी सरकार में जेडीयू कभी भी हिस्सेदार बनेगी। केन्द्र में एनडीए की सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही बिहार के सीएम नितीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और 8 नये मंत्रियों का शपथ दिलवायी। यह सभी जेडीयू के ही विधायक हैं। बीजेपी के एक भी विधायक को विस्तार में जगह नहीं दी गयी है। लोगों का मानना है कि यह केन्द्र सरकार को नितीश कुमार का करारा जवाब दिया गया है। इस बात के बाद बीजेपी और लोजपा की ओर से बात बनाने की कोशिश की गयी कि बिहार में एनडीए के नेता नितीश कुमार ही है।
मोदी सरकार पार्ट 2 में जिन सांसदों को जगह नही मिली है उनमें सुलतानपुर की सांसद मेनका गांधी, पूर्व सांसद व मंत्री मनोज सिन्हा अपनी गाजीपुर सीट बचाने में सफल नहीं हुए और बसपा के उम्मीदवार अफजाल अंसारी से हार गये। इसलिये उन्हेंं मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। पूर्व रेल व उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को भी मंत्री नहीं बनाया गया है। पिछली सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज ने अपनी सेहत का कारण बना कर चुनाव न लड़ने की बात कही थी। ऐसा ही कुछ कारण पूर्व मंत्री कलराज मिश्र, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और उमा भारती ने चुनाव नहीं लड़ा था।
भाजपा के टिकट पर दोबारा जीत कर आने वाले सांसद व पूर्व मंत्री डा.महेश शर्मा, कर्नल राज्यवर्धन सिंह, पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, विजय गोयल, पर्यटन राज्यमंत्री केजे अल्फोंस और पूर्व मंत्री जुआल ओराम आदि लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नही मिली है।
मेनका गांधी और वरुण गांधी की बीजेपी में कोई वकत नहीं है। मेनका गांधी को ऐसा कोई खास पोर्ट फोलियो नहीं दिया जाता रहा है। पिछली सरकार में उन्हें महिला व बाल कल्याण मंत्री बनाया गया था। वहीं दूसरी ओर दो बार हार का स्वाद चखने वाली स्मृति ईरानी को पहली सरकार में मानव संसाधन मंत्रालय, सूचना मंत्रालय और बाद में कपड़़ा मंत्रालय दिया गया। वहीं तेज तर्रार नेता के रूप में वरुण गांधी के साथ बीजेपी में हमेशा दोहरा मंनदंड अपनाया गया है। उन की निष्ठाा पर अभी लोग सवाल उठाते है। पिछले तीन बार से सांसद होने के बाद भी वरुण को न तो पार्टी में कोई अच्छा पद दिया गयाा और न ही उन्हें मोदी सरकार पार्ट1 और 2 में मंत्री ही बनाया गया है। इन दोनों पर आज भी कांग्रेसी होने का आरोप लगता है।
पिछली मोदी सरकार में राज्य मंत्री रहे रामकृपाल यादव, पूर्व गृहराज्य मत्री हंसराज अहिर, राधाकृष्ण पी, पूर्व राज्यवित्त मंत्री जयंत सिन्हा, संसदीय राज्य मंत्री विजय गोयल, एसएस अहलूवालिया, पूर्व राज्यमंत्री अनंत कुमार हेगड़े और पूर्व स्किल डेवलपमेंट मंत्री राजीव प्रताप रूडी को भी इस बार मोदी सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया है।