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An agitation organized by Muslim communities against Tripple talaqe in Kota (Rajsthan)

प्रेस विज्ञप्ति
दी मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन आॅफ राईट आॅन मेरिज) बिल-2019 जो कि हाॅल ही में लोकसभा व राज्यसभा में पारित होकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करके लागू कर दिया गया जो अब भारत में एक्ट बन चुका है। जिसे तीन तलाक कानून के नाम से भी जाना जाता है।
आज इस तीन तलाक कानून के विरोध में कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद सा. के नेतृत्व में लगभग डेढ से दो लाख लोगो ने मौन जुलस निकाला जो कि मल्टी परपज स्कूल गुमानपुरा, कोटा से प्रारम्भ होकर केनाल रोड़, सरोवर टाॅकीज, नयापुरा होते हुये कलेक्ट्री पहुंचा जहां जुलूस एक विशाल आम सभा में तबदील हो गया। इस विशाल जन सभा को सम्बोधित करते हुये शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ने कहा कि दी मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन आॅफ राईट आॅन मेरिज) एक्ट-2019 (तीन तलाक कानून) जो अब भारत में लागू किया जा रहा है इसमें दिये गये प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का सीधा उल्लंघन है और लोकसभा और राज्यसभा ऐसे किसी भी एक्ट को पारित नहीं कर सकती जिसमें भारतीय संविधान द्वारा दिये गये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता हो। तीन तलाक कानून का पारित किया जाना भारत के मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
संविधान की धारा 25 के अनुसार भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को उसके धर्म के अनुरूप धर्म पर चलने की पूर्ण स्वतंत्रता दि गई है। विशेष तौर से उन मामलात में जिनका सम्बंध विवाह और तलाक से है। इस स्वतंत्रता के अन्तर्गत हर नागरिक को उसके धर्म के अनुसार शादी, ब्याह के बंधन में बंध सकता है और तलाक दे सकता है।
वर्तमान में तीन तलाक कानून में जो प्रावधान तलाक़ को देने के सम्बंध में दिये गये है उसके तहत तलाक को परिभाषित करते हुये इसे तलाक बिद्दत का नाम दिया गया है जिसमें मुस्लिम पति अपनी पत्नि को एक ही बार में तीन बार तलाक का शब्द बोलकर तलाक देता है। ऐसी तलाक को वर्तमान तलाक कानून में अवैध व शुन्य माना गया है। और साथ ही यह भी प्रावधान दिया गया है कि ऐसी तलाक देने वाले पति को तीन साल तक की सजा दी जा सकती है।
शहर क़ाजी अनवार अहमद साहब ने तलाक़ कानून के उक्त प्रावधानों को भारतीय संविधान अनुच्छेद 25 में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों में पूर्ण रूप से हस्तक्षेप बताया और यह कहा की इस्लामी शरीअ़त में जो विवाह और तलाक के मामले में जो प्रावधान दिये गये है उसमें किसी भी तरह का हस्तक्षेप बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
शहर क़ाजी अनवार अहमद ने सभा को सम्बोधित करते हुऐ इस बात पर भी जोर दिया कि इस्लामी शरीअत अल्लाह के बनाऐ हुए कानून का हिस्सा है। इसमें बदलाव करने की ताकत किसी भी संसद की या समाज की या किसी इंसान की नहीं है। अगर इस्लाम धर्म में रहना है तो उसकी शिक्षाओं की वैसे ही पालना करनी होगी जैसे कि पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के जमाने से की जाती रही है। उन्होंने आगे कहा की इस्लामी शरीअ़त मुकम्मल (पूर्ण) है उसमें किसी प्रकार की बदलाव की आवश्यकता नहीं है। इसलिये दी मुस्लिम वुमन (प्रोटेक्शन आॅफ राईट आॅन मेरिज) एक्ट-2019 (तीन तलाक कानून) में जो प्रावधान दिये गये है वो मुस्लिम शरीअ़त और भारतीय संविधान में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के विपरीत होने के कारण निरस्त किये जाने योग्य है।
शहर काजी अनवार अहमद सा. ने सभा को सम्बोधित करने के बाद एक मेमोरेण्डम राष्ट्रपति महोदय के नाम पर विशाल जन सभा में उपस्थित लाखों मुसलमानों की तरफ से कलेक्टर साहब को दिया। जिसमें तीन तलाक कानून को निरस्त करने की अपील की गई है।

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