25 मार्च से पूरे देश में केन्द्र ने पूरी तौर पर तालाबंदी कर रखी है। कोरोना से लड़ने के लिये पीएम मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग को प्रमुख हथियार बनाते हुए लोगों से घरों में रहने की अपील की थी। लॉकडाउन के पहले चरण में 21 दिनों के लिये पूरी तरह तालाबंदी का ऐलान किया था। लेकिन हालात में सुधार आने के बजाय संक्रमण काफी संख्या में बढ़ता दिख रहा है। इस पर पीएम मोदी ने 3 मई तक देश तालाबंदी को बढ़ा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि लोगों के सब्र का बांध टूट गया और पूरे देश में लॉकडाउन का उल्लंघंन होता दिख रहा है। ऐसा नहीं कि यह उल्लंघन आम आदमी द्वारा किया जा रहा है। बड़े बड़े नेताओं, सरकारों और मंत्रियों द्वारा किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ नजारा यूपी की सरकार में देखने को भी मिला है। सरकार के इस कदम की बिहार के सीएम नितीश कुमार ने विरोध भी किया और कहा कि यह सरासर लॉकडाउन का उल्लंघन है।
एक सप्ताह पहले महाराष्ट्र की मुंबई में बांद्रा रेलवे स्टेशन के आसपास हजारों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर लोग अपने घरों को जाने के लिये पहुंच गये। हालात खराब होते देख स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने निहतथे भूखे प्यासे लोगों पर लाठीचार्ज कर तितर बितर कर दिया। यहां सोशल डिस्टेंसिंग का खुलेआम मजाक उड़ाया गया। पुलिस ने एक हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया और काफी लोगो के खिलाफ मामला दर्ज किया। यहां के हालात पर बीजेपी ने प्रदेश की उद्धव सरकार पर तंज करते हुए कहा कि सरकार हालात पर नियंत्रण करने में पूरी तरह फेल है।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कोटा में फंसे छात्रों को निकालने के लिये यूपी परिवहन की 300 बसों को राजस्थान के कोटा भेजी और हजारों के बच्चो को उनके घरों में भेजने का प्रबंध किया है। लेकिन यह भी सुनने में आया कि बसों में छात्रों ने सोशल डिस्टेंसिंग को धता बताते हुए करीब बैठ कर कोटा से आगरा तक सफर किया। इससे कोरोना संक्रमण की आंशका बढ़ गयी है।
यह भी देखा गया है कि बिहार के एक बीजेपी के विधायक को अपने बेटे को वापस लाने के लिये एक विशेष पास दिया गया है। इस बात को लेकर भी राजनीतिक दलों में काफी चर्चा हो रही है। इससे साफ हो रहा है लॉकडाउन को पालन करना केवल जन सामान्य के लिये ही अनिवार्य है।
कनार्टक में भी एक मंत्री ने लोगों के बीच आवश्यक सामग्री के पैकेट बांटने का कार्यक्रम किया वहां भारी संख्या में मौजूद लोगों न कुछ देर तक संयम बरता लेकिन मंत्री के वहां से जाते ही पैकेट के लिये अराजकता फैल गयी। लूटपाट भी देखी गयी। यहां भी सोशल डिस्टेंसिग की खुले आम धज्जियां उड़ायी गयीं। केन्द्र सरकार कोरोना वायरस से लड़ने के लिये विशेष तौर पर लोगों से दूरी बनाये रखने की अपील कर रही है ताकि कोविड 19 का संक्रमण लोगों तक न हो पाये। लेकिन ऐसे कार्यक्रमों की वजह से सरकार के मंसूबों पर पानी फिर रहा है।
लॉकडाउन के उल्लंघन का ताजा मामला पंजाब के पठानकोट में देखने को मिला है। वहां सरकार के मंत्री ने लोगों को आवश्यक सामग्री देने के लिये ट्रकों में खाद्य सामग्री पैकेट बांटने को बुलाया था। पैकेट लेने के लिये वहां मौजूद लोगों ने सारे नियमकायदों की धज्जियां उड़ाते हुए धक्का मुक्की की और सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ा दिया गया। ऐसा होना स्वाभाविक भी है लोगों के पास खाने की सामग्री नहीं है। जब मिलने का मौका देखते हैं तो नियम कायदे तार तार हो जाते है।
महाराष्ट्र में बेकाबू होते दिहाड़ी मजदूरों का रवैया देखते हुए गुजरात, यूपी और दिल्ली में भी प्रवासी मजदूरों ने अपने घरों में जाने के लिये सड़कों पर उतर कर उग्र प्रदर्शन किया। इससे वहां की सरकारों के लिये हालात पर काबू पाना मुश्किल हो गया। दिल्ली में सरकार के लिये प्रवासी मजदूरों को समझाना परेशानी बढ़ा रहा था। लेकिन मजदूर अपने घरों में जाने के लिये अड़े हुए है। यह हालात देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि शगर फैक्ट्रीज में काम करने वाले 3ि0 हजार मजदूरों को उनके घरों को वापस भेजा जायेगा। इतना ही नहीं सरकार ने यह भी ऐलान किया कि हर मजदूर को 2000 हजार की मदद भी की जायेगी। यह निर्णय सरकार को इस लिये भी करना पड़ा क्योंकि इतनी तादाद में लोगों को क्वारंटीन करना सरकार के बस में नहीं है। इसके साथ ही लाखों दिहाड़ी मजदूरों के रहने और खाने का बंदोबस्त करना भी राज्य सरकार के लिये आसान नहीं है। शुगर मिल्स में काम करने वालों के साथ एक लाख 30 मदहाड़ी मजदूरों को स्पेशल बसों द्वारा उनके घरों में भेजने का फैसला भी किया गया है।