fruit and vegetables (1)
Some people are banning specific street venders in colonies and appartments in Delhi NCR

एक समाचार चैनल पर एक ऐसी रिपोर्ट दिखायी गयी कि दिल कांप उठा। पिछले एक माह में देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है लेकिन देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हिन्दू मुस्लिम कार्ड खेलना सूझ रहा है। रिपोर्ट यूपी और एनसीआर इलाको पर आधारित थी। रिपोर्ट में यह दिखाया गया कि किस तरह लोग अपने घरों केे आसपास ऐसा माहौल बना रहे हैं जिससे सामाजिक सौहार्द संकट में आता जा रहा है। पिछले एक माह से सोशल मीडिया पर लोगों को आपस में लड़वाने के लिये ऐसे पोस्ट और वीडियो डाले जा रहे हैं जिससे लोगों के बीच आपसी भाईचारा खत्म हो रहा है। नफरत के बीज बोने का काम किया जा रहा है। देश को इस समय एकजुट हो कर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिये सरकार को सहयोग करना चाहिये न कि समाज में धार्मिक उन्माद फैला कर देश को तोड़ने का काम किया जाये।

दिल्ली व उससे सटे यूपी के ​कुछ इलाकों में हिन्दू और मुसलमानों के बीच खाई पैदा करने के लिये लोग संगठित हो कर एक मिशन चला रहे हैं जिसके तहत लोगों को भ्ड़काया जा रहा है कि वो मुसलमानों से फल व सब्जियां न खरीदें। इतना ही नहीं कालोनियों में आने वाले ठेली वालों से उनका नाम पूछ कर ही लोग खरीदारी कर रहे हैं। कुछ जगहों पर तो इन फेरीवालों के साथ स्थानीय लोग मारपीट तक कर रहे है। दिल्ली में एक आदमी ने एक मुसलमान फल सब्जी बेचने वाले को लाठियों से पीट कर भगाने का प्रयास किया। बाद में वीडियो वायरल होने पर उस आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया गया।

कुछ जगहों पर हिन्दूवादी संगठनों ने आसपास के बाजारों में हिन्दू सब्जी फल बेचने वाले लोगों को अपनीे ठेले पर एक विशेष झण्डा दिया है जिसे वो अपने ठेल पर लगाते हैं। साफ है कि इन सबके पीछे हिन्दू ​मुस्लिमों के बीच अंतर पैदा करने की साजिश रची जा रही है। अपना पेट पालने वाले लोग सब्जी और फल बेच कर चार पैसे कमाने के लिये ये लोग गली मोहल्लों में दिन रात फेरी लगाते हैं। इसी के चलते वो लोग अपने परिवार को पालने का प्रयास करते हैं।

अपनी सारी उम्र में यह पहली देखा कि लोगों को फल सब्जी भी हिन्दू और मुसलमान के नाम पर बांटा जा रहा है। इससे बढ़कर भारत का दुर्भाग्य क्या होगा। जिस देश में सदियों से हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में मिलकर रह रहे हैं उन्हें जातियों और समुदाय में बांटा जा रहा है। क्या इसी दिन के लिये महात्मा गांधी ने अपने प्राणों की का बलिदान किया था। हमारे देश की आजादी में शहीद होने वाले लोगों को भी भारत के हालात पर अफसोस हो रहा होगा। देश की आजादी में क्या केवल हिन्दू लोगों ने ही शहादत दी। जंगे आजादी में सिख और मुस्लिम समाज के लोगों ने भी अपनी जान की बाजी लगायी थी। यह देश किसी समुदाय विशेष की संपत्ति नहीं हो सकती है। धर्मनिरपेक्ष देश में सभी को अपने मजहब का सम्मान करते हुए जीने का अधिकार भारतीय संविधान ने दिया है।

अक्सर देखा गया है कि अनेक मामलों में देश की अदालतें स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवायी करती हैं। मेरी यह अपील है देश की अमन शांति को बरकरार रखने के लिये सुप्रीम कोर्ट को इस गंभीर होते मसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए ऐसी सोच रखने वालों को उचित निर्देश जारी करें। ताकि देश में किसी भी प्रकार के व्यर्थ रक्तपात होने सबचा जा सके।

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