आने वाले दिनों में आर्थिक पैकेज का कई गुना असर होगा: निर्मला सीतारमण


केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को महामारी के संकट से उबरने में मदद करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की 5 दिन तक विशिष्ट रूपरेखा की घोषणा की और इसको लेकर 50 से ज्यादा घोषणाएं की। इन घोषणाओं के जरिए उन्होंने “आत्मनिर्भर भारत” की नींव रखी। रविवार को घोषणा के कुछ ही समय बाद वित्त मंत्री ने आर सुकुमार और शिशिर गुप्ता को एक विस्तृत साक्षात्कार में उपायों के पीछे तर्क के बारे में बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह पैकेज बिजनेसमैन और कॉमन मैन दोनों को राहत देगा। आइए इस जानें वित्त मंत्री ने और क्या कहा इस राहत पैकेज के बारे में..

सवाल: आप पैकेज को एक वाक्य में कैसे बयां करेंगी?

जवाब: वास्तव में प्रधानमंत्री ने ही इस एक वाक्य में बता दिया है कि पैकेज भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों पर केंद्रित होगा।  हमने ऐसा किया है। हर सेक्टर की मदद की गई है। मुझे लगता है कि यह एक उचित पैकेज है। और यह हर तबके तक पहुंचता है। इससे सभी को लाभ होने की उम्मीद है।

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सवाल: अब जब पूरे पैकेज की घोषणा कर दी गई है, तो बजट की स्थिति क्या है?

वित्तमंत्री के जवाब:  पैकेज की घोषणा से पहले ही एक बात का हमने संज्ञान लिया और वह है उधार लेना। सरकार ने इस वर्ष के लिए उधार सीमा 4.2 लाख करोड़ रुपये बढ़ा दी है। यही कारण है कि हमने ऋण लेने का एक नया कार्यक्रम जारी किया, लेकिन इसके बाकी हिस्सों में इंतजार करना और देखना होगा। क्योंकि रेवेन्यू जेनरेट करने और विनिवेश का अभी आकलन करना जल्दबाजी होगी।  हमारे पास 10 और महीने हैं।

सवाल: आपने हमें उधार के बारे में बताया है; क्या यह किसी भी राजस्व कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा? या और भी अधिक उधार लेने की आवश्यकता होगी?

 जवाब: हमने आवश्यकतसनुसार एक व्यापक मूल्यांकन किया और फिर यह 20,97,053 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। उस समय हम सचेत थे।

सवाल: एविएशन, टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी, एंटरटेनमेंट जैसे कुछ सेक्टर्स हैं, जहां अगर आप उन्हें पैसा देते हैं, तो भी एक साल बाद, ये कंपनियां संघर्ष करने वाली हैं, क्योंकि मांग नहीं है।

जवाब: वे एक या दूसरी योजनाओं के तहत आएंगे, जिन्हें हम बैंकों (क्रेडिट) के साथ लेकर आए हैं। लिहाजा, कोई भी इससे अछूता नहीं रहने वाला है। 

सवाल: मौद्रिक और लिक्वीडिटी घटकों पर आपके द्वारा घोषित पैकेज की आलोचना की जा रही है। कहा जा रहा है कि यह राजकोषीय लागत का सिर्फ 10-15% है?

जवाब: यह आश्चर्यजनक है कि अन्य देशों ने जो दिया है उससे तुलना की जाती है। इस समय, मैं सभी से अनुरोध करूंगी कि वह इस बात पर ध्यान केंद्रित करे कि पैसा कहां जा रहा है। मुझे लगता है कि उन वर्गों (आबादी का) तक पहुंचना महत्वपूर्ण है, जिन्हें जीवित रहने के लिए राहत की जरूरत है। और न केवल व्यक्तियों। यदि अतिरिक्त पैसा छोटी इकाइयों तक नहीं पहुंचता है, तो वे मजदूरी का भुगतान नहीं कर सकते हैं। वे कच्चा माल नहीं खरीद सकते हैं और अपनी इकाइयों को 10-15% क्षमता तक चला सकते हैं। इसलिए मैं यह सुनिश्चित कर रहा हूं कि पैसा कहां जाए।  इसके प्रभाव के लिए प्रतीक्षा करें।





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