सरकार से राहुल गांधी- आर्थिक तूफान आने वाला है, प्‍यार से कहता हूं पैकेज को रिकंसीडर करें


Rahul Gandhi Press Conference : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सरकार से कहा है कि वह अपने पैकेज को रिकंसीडर करे। उन्‍होंने कहा कि लॉकडाउन को खोलना ही होगा मगर बेहद सावधानी से।

Edited By Deepak Verma | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में राहुल गांधी।
हाइलाइट्स

  • लॉकडाउन पर राहुल गांधी ने मीडिया से की बात, सरकारी पैकेज को बताया एक शुरुआत
  • केंद्र सरकार से स्टिमुलस पैकेज को रिकंसीडर करने की अपील, कई सुझाव भी दिए
  • लोगों को डायरेक्‍ट पैसा देने की डिमांड, राहुल ने कहा- पीएम मोदी सीधे अकाउंट में भेजे पैसा
  • कांग्रेस सांसद ने कहा- न्‍याय योजना को टेम्‍प्रेरी तौर पर लागू करें

नई दिल्‍ली

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने आज लोकल मीडिया से बात की। इसकी स्‍ट्रीमिंग उनके यूट्यूब चैनल पर की गई। उन्‍होंने कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच, सरकार द्वारा जारी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल खड़े किए। उन्‍होंने कहा कि इस वक्‍त लोगों के हाथ में पैसा होना चाहिए। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे अस्‍थायी तौर पर ही सही, NYAY योजना को लागू करें। उन्‍होंने कहा कि डायरेक्‍ट लोगों के खाते में पैसा भेजना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि डायरेक्‍ट कैश ट्रांसफर, मनरेगा के कार्य दिवस 200 दिन, किसानों को पैसा आदि के बारे में मोदी जी विचार करें, क्योंकि ये सब हिंदुस्तान का भविष्य है।

राहुल ने दिया मां का उदाहरण

राहुल गांधी ने कहा कि “जब बच्चों को चोट पहुंचती है, तो मां उनको कर्जा नहीं देती, बल्कि राहत के लिए तुरंत मदद देती है। कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था, बल्कि किसान, मजदूरों की जेब में तुरंत पैसे दिए जाने की आवश्यकता है।” राहुल ने कहा कि डिमांड को स्‍टार्ट करने के लिए अगर हमने पैसा नहीं दिया तो बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। उन्‍होंने कहा कि ‘प्‍यार से बोल रहा हूं, इस पैकेज को सरकार रिकंसीडर करे।’

इंजन शुरू करने के लिए ईंधन की जरूरत

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस वक्‍त सबसे बड़ी जरूरत डिमांड-सप्‍लाई को शुरू करने की है। उन्‍होंने कहा कि “आपको गाड़ी चलाने के लिए तेल की जरूरत होती है। जबतक आप कार्बोरेटर में तेल नहीं डालेंगे, गाड़ी स्‍टार्ट नहीं होगी। मुझे डर है कि जब इंजन शुरू होगा तो तेल ना होने की वजह से गाड़ी चलेगी ही नहीं।” उन्‍होंने केरल में कोरोना वायरस पर कंट्रोल की तारीफ की और कहा कि वह एक मॉडल स्‍टेट है और बाकी राज्‍य उससे सबक ले सकते हैं।

प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर भिड़ीं बीजेपी-कांग्रेसप्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर भिड़ीं बीजेपी-कांग्रेसलॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के पलायन का मुद्दा देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने आज पश्चिम बंगाल और कांग्रेस शासित राज्य अपने यहां श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की इजाजत नहीं देने का आरो लगाया, तो जवाब में कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी को झूठ बोलने की आदत है। सुनिए दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप।

‘बीजेपी की बनती है जिम्‍मेदारी’

राहुल गांधी ने कहा कि यह उंगली उठाने का वक्‍त नहीं है। आज हिन्‍दुस्‍तान के सामने बड़ा प्रॉब्‍लम है और हमें उसे दूर करना है। उन्‍होंने कहा कि “ये लोग जो सड़कों पर चल रहे हैं, इनकी मदद हम सबको करनी है। बीजेपी सरकार में है और उनके हाथ में सबसे ज्‍यादा औजार हैं तो उनकी ये जिम्‍मेदारी बनती है। हम सब मिलकर इससे लड़ेंगे। हम राज्‍यों में कोऑर्डिनेशन को दूर करना होगा।” वायनाड से कांग्रेस सांसद ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्‍यों में मजदूरों को पूरा सपोर्ट देने की कोशिश है। हम डायरेक्‍ट पैसा दे रहे हैं। मनरेगा के तहत रोजगार को डबल करने की कोशिश कर रहे हैं।

रोज दर्द से दो-चार हो रहे मासूम

  • रोज दर्द से दो-चार हो रहे मासूम

    अभी उनकी उम्र ही क्‍या हुई है जो गरीबी की चोट को समझ सकें। मां-बाप पैदल चल रहे हैं तो उनके साथ बच्‍चे भी हैं। कहीं ट्रक में यूं बिठाए जाते हैं, कहीं पैरों का ही सहारा है।

  • थक गया मेरा लाल, सो जा...

    झांसी जा रही इस मां को देखिए। बच्‍चा चलते-चलते थक गया तो उसे सूटकेस पर ऐसे लिटा दिया। इस तरह नींद भले ना आए मगर बच्‍चे को थोड़ा आराम तो मिलेगा। ममता साधनों की मोहताज नहीं होती।

  • ट्रॉली बैग पर सोया बच्चा, रस्सी बांध खींचती रही मां
  • रोड पर खाना, रोड पर जीना

    घर जा रहे प्रवासी मजदूरों की जिंदगी जैसे सड़क तक सिमट गई है। सैकड़ों किलोमीटर चलना है, जो खाना बांधकर निकले वो कुछ वक्‍त में खत्‍म हो गया। रास्‍ते में कुल भले लोग इन्‍हें खाना खिला रहे हैं। एक बार भूख शांत होती है तो फिर चल पड़ते हैं।

  • बैलगाड़ी खींच रहा है मजदूर परिवार
  • यूं तय किया 17 दिन में 800KM का सफर

    लॉकडाउन में हैदराबाद में रहे रामू की नौकरी चली गई। घर लौटने के पैसे नहीं थे। वह पत्‍नी और मासूम बेटी को लेकर पैदल चल दिया। मगर बच्‍चे और बीवी के लिए ये सफर आसान नहीं था। जुगाड़ से ऐसी गाड़ी बनाई और उसमें दोनों को बिठाकर खींचता रहा। 17 दिन तक यूं ही 800 किलोमीटर तक चला।

  • अब आम हो चली हैं ऐसी तस्‍वीरें

    लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के पलायन ने इस तरह की तस्‍वीरें खूब दिखाई हैं। लोग भूसे की तरह ट्रकों में भरकर किसी तरह अपनी मंजिल पहुंच रहे हैं। ऐसे में सोशल डिसटेंसिंग की बात करना भी बेमानी है।

सरकार पर दबाव डालने की कोशिश

राहुल ने मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि अगर उसने प्रवासी मजदूरों के संकट को ना दिखाया होता तो हम सरकार पर दबाव नहीं बना पाते। उन्‍होंने 12 फरवरी को ट्वीट कर सरकार को कोरोना के खतरे प्रति आगाह किया था। क्‍या सरकार से चूक हुई? इस सवाल पर राहुल ने कहा कि ‘अब इसका कोई मतलब नहीं हैं। मैं आपसे इसलिए बात कर रहा हूं ताकि सरकार पर दबाव डाल सकूं। बहुत जबर्दस्‍त आर्थिक डैमेज होने वाला है।’ उन्‍होंने कहा कि सरकार के लोग विपक्ष की बात अच्‍छी तरह से सुनेंगे तो हमारी बात मान लेंगे।

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लॉकडाउन पर क्‍या बोले राहुल

लॉकडाउन के चौथे चरण पर राहुल ने कहा कि ‘मुझे यह दिख रहा है कि लॉकडाउन हुआ। अब हमें होशियारी से इससे निकलना है। ना हमें इकनॉमी को ढहने देना है, ना ही अपने बुजुर्गों को खोना है। हम ठीक से प्‍लानिंग करेंगे तो हम दोनों चीजों को बैलेंस करके निकाल सकते हैं। हाल ही में रघुराम राजन और अभिजीत बैनर्जी से बातचीत करने वाले राहुल ने कहा कि मैं पत्रकार नहीं बन रहा हूं। उन्‍होंने कहा कि मैंने सोचा कि मेरी जो ऐसे लोगों से बातचीत होती है, उसकी एक झलक बाहर दिखा दूं।

‘लोकल वोकल तभी जब पेट में भोजन’

मनरेगा में किन बदलावों की जरूरत है, इसपर राहुल ने कहा कि शहर और गांवों के मजदूरो के लिए अलग-अलग योजनाएं होनी चाहिए। गांवों के लिए मनरेगा और शहरों के लिए न्‍याय योजना लागू होनी चाहिए। चार-पांच महीने न्‍याय योजना लागू करने के बाद, बंद कर दें। पीएम मोदी ने अपील की थी कि लोकल चीजों को प्रमोट करें। उसके बारे में मुखर होकर बात करें। इसपर राहुल गांधी ने कहा कि ‘लोकल वोकल तभी होगा जब उसके पेट में भोजन होगा।’ उन्‍होंने कहा कि आज हमें कोरोना से लड़ना है।

Web Title rahul gandhi video conferencing on coronavirus lockdown(News in Hindi from Navbharat Times , TIL Network)

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