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पंजाब और हरियाणा में भाजपा का सूपड़ा साफ!
हरियाणा और पंजाब में भाजपा की बैंड बजती दिख रही है। उनके नेताओं को गांवों में किसान घुसने नहीं दे रहे हैं। ताजा मामला पेजाब का सामने आया है प्रचार को गये भाजपा सांसद हंसराज हंस को किसानों ने दौड़ा लिया। ये वीडियो मेन स्ट्रीम मीडिया में वायरल हो रहा है। सांसद किसी तरह वहां से निकल कर वापस चले गये। इससे पहले पूर्व उपमुख्य मंत्री दुष्यंत चौटाला को ग्रामीणों ने गांव में घुसने नहीं दिया। इसके अलावा कांग्रेस से भाजपा में आये अशोक तंबर को सिरसा में ग्रामीणों ने दौड़ा दौड़ा कर भगा दिया। इससे साफ पता चल रहा है कि पिछले दस सालों से लोग सरकार के रवैये से क्षुब्ध हैं। आम चुनाव से ठीक पहले मोदी शाह ने सीएम मनोहर लाल खट्टर को हटाकर डैमेज ंकन्ट्रोल करने की कोशिश की। उनकी जगह कुरुक्षेत्र के सांसद सैनी को सीएम पद पर बैठा दिया है। लेकिन दस साल का गुस्सा अब हरियाणा के ग्रामीण इलाकों साफ दिखने लगा है। किसान आंदोलन में सरकार के रवैये से लोगों में भारी गुस्सा है। हालात भांप कर दिग्गज नेता पार्टी बदलने लगे हैं। इससे भाजपा के माथे पर चिंताओं की रेखाएं साफ दिखने लगी हैं। लेकिन मोदी शाह को लग रहा है उन्हें क्षेत्रीय नेताओं की अब जरूरत नहीं रह गयी है मोदी के चेहरे पर वो 400 पार का नारा बुलंद कर रहे है। लेकिन दस साल के बाद मोदी का जादू धीरे धीरे खत्म हो गया है। सबके आगे महंगायी, बेरोजगारी, अर्थव्यस्था किसानों की समस्याओं व बद्तर होती स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में जनता त्रस्त हो गये है। मोदी शाह 23 साल आगे के सपने दिखाने में जुटे है।
2019 में ही भाजपा की हार हुई थी
2019 में ही हरियाणा में खट्टर सरकार की हार हुई थी लेकिन जेजेपी के सहारे प्रदेश में भाजपा ने एक बार फिर से सरकार बना ली। खट्टर के सिर फिर से सीएम का सेहरा बंघ गया। लेकिन भाजपा के प्रति लोगों के दिलों में नफरत बढ़ती जा रही थी। दिलचस्प बात यह है कि जेजेपी चुनाव में भाजपा के खिलाफ लड़ी थी लेकिन सत्ता सुुख पाने के लिये वो भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार हो गयी। इससे भी ंलोगों में गुस्सा था कि उन्होंने तो भाजपा के खिलाफ वोट किया था। खटटर सरकार को हटाने के लिये जेजेपी को जिताया था। स्वार्थ के लिये जेजेपी ने भाजपा से हाथ मिला लिया। जेजेपी ने राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिये भाजपा का साथ दिया था। जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सरकार से समर्थन वापस ले लिया। ये भी सुना जा रहा है कि जेजेपी और भाजपा ने यह सब राजनीति के चलते किया है उनका मानना है कि अगर वो साथ मिल कर चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को फायदा होगा। इसलिये दिखावे को वो अलग अलग लड़ेंगे ताकि कांग्रेस के वोट बंट जायेंगे और चुनाव परिणाम के बाद फिर जेजेपी भाजपा के साथ आ जायेगी। लेकिन जनता उनकी चाल को समझ चुकी है यही वजह है कि किसान व ग्रामीण दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों को इलाकों में घुसने नहीं ंदे रहे हैं।
पार्टी छोड़ रहे दिग्गज नेता और केन्द्रीय मंत्री
वर्तमान राजनीतिक हालात देख कर भाजपा में पाला बदलने की होड़ लग गयी है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री चौ बिरेंद्र सिंह ने भी ठीक चुनाव के पहले पार्टी को बाय बाय कर दिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया। उनके पुत्र और भाजपा सांसद बिजंेद्र सिंह पहले ही सांसदी छोड कर कांग्रेस में शामिल हो चुके है। साफ जाहिर है कि पंजाब और हरियाणा ज्यों ज्यों आम चुनाव करीब आ रहा है मोदी शाह की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। लेकिन लंतरानी हंाकने में कोई कमी नहीं आयी है। मोदी शाह और उनके नेता अबकी बार 400 पार का नारा लगा रहे हैं। लेकिन तीसरी बार सत्ता में आने को 272 सांसद कैसे जीत कर आयेंगे। इसका उनके पास कोई प्लान नहीं हैं। हाल ही में तीन प्रदेशों मे मिली जीत के बावजूद वहां हालत खस्ता दिख रही है।