नयी दिल्ली। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पूरी तरह लग भी नही पायी कि राजनीतिक सरकार गठन की कवायद शुरू हो गयी है। एनसीपी और कांग्रेस ने मुबई में शाम तक कुछ खास मुद्दे पर बड़े नेताओं के साथ गंभीरता से बातचीत की।
इस बैठक में कांग्रेस के अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और खड़गे ने दिल्ली से जाकर एनसीपी के नेताओं के साथ मुद्दों पर विधायक की है। लोगों में यह सुगबुगाहट होने लगी कि अब भी सरकार बन सकती है।
अंदरखाने से यह बात छन कर आ रही है कि एनसीपी और शिवसेना का मुख्यमंत्री 50—50 फार्मूले पर तैयार हो सकता है। पहले सेना का मुख्यमंत्री ढाई साल रहेगा उसके बाद ढाई एनसीपी का मुख्यमंत्री रहेगा। कांग्रेस का डिप्टी सीएम पूरे पांच साल के लिये रहेगा। शिवसेना ने बीजेपी से इसलिये नाता तोड़ा कि बीजेपी ने उनके प्रस्ताव को नहीं माना और शिवसेना पर जनता के आदेश का अपमान करने वाला बता दिया। इससे शिवसेना बीजेपी से तपी बैठी है। वहीं बीजेपी के सामने से परोसी गयी थाली खींच ली गयी है। वैसे कांग्रेस के चुने गये विधायक भी कांग्रेस हाईकमान से सरकार में शामिल होने की बात कह चुके हैं। लेकिन कांग्रेस के बारे कहा जाता है कि वो बहुत धीमी गति से चलती है और ठंडा कर के खाती है। इसलिये सोनिया गांधी ने सरकार बनाने में बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है। शायद शिवसेना को समर्थन देने के पीछे उनकी धमनिरपेक्षता वाली बात सही हो सकती है। सोनिया गांधी के लिये शिवसेना को समर्थन देना इतना आसान नहीं है। कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता शिवसेना को समर्थन देने में सबसे बड़ी रुकावट मानी जा रही है। सोनिया गांधी नेहरू जी और इंदिरा गांधी के उसूलों से काफी प्रभावित है।