Approx. 18 congress leaders left party with in 4 yrs.
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एक तरफ कांग्रेस को मोदी शाह की तानाशाही और जांच एजेसिंयों का कहर झेलना पड़ रहा है वहीं उसे अपनी पार्टी के अंदर विभीषणों को भी झेलना पड़ रहा है। दिल्ली में ठीक चुनाव के पहले प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दे कर पार्टी को झटका दिया है। चर्चा है कि लवली एक बार फिर भाजपा का दामन थामने जा रहे हैं। यह भी चर्चा है कि बीजेपी अपने संभावित प्रत्याशी हर्ष मल्होत्रा की जगह लवली को टिकट पर चुनाव लड़वाने जा रही है। इस बार कांग्रेस ने भाजपा को टक्कर देन के लिये आम आदमी पार्टी से हाथ मिलाये हैं। पिछले दो आम चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का सूूपड़ा साफ कर दिया था। इस बार लग रहा था कि सातों सीटों पर भाजपा जीत हासिल नहीं कर पायेगी। लेकिन दिल्ली की राजनीति में उठा पटक से लग रहा है कि भाजपा अपने मंसूबों में सफल हो जायेगी। मोदी शाह और भाजपा के बारे में जाहिर है कि वो जीत के लिये किसी भी साजिश को अंजाम सकती है।
प्रत्याशियों के टिकट पर रार
दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। चार सीटों पर आम आदमी पार्टी और तीन पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवारों को लेकर पार्टी के अंदर कोहराम मचा हुआ था। उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस ने पूर्व छात्रनेता कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाया है। इसे लेकर भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में काफी अफरा तफरी का माहौल बना हुआ था। यहां से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लवली चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कन्हैया कुमार का नाम तय कर दिया। इसी तरह उदितराज के टिकट को लेकर भी विवाद चल रहा है। उदितराज भाजपा के ​टिकट पर 2014 में सांसद बन चुके हैं। कुछ नेता व कार्यकर्ता इन दोनों नेताओं को बाहरी मानते हैं। प्रदेश कार्यालय पर कुछ असंतुष्ट नेताओं ने विरोध प्रदर्शन भी किया। इसी बीच दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। वैसे लवली इससे पहले भी कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके हैं। ये कांग्रेस की दरियादिली है कि वो विश्वासघातियों को फिर से गले लगा लेती है।
गौरव वल्लभ रोहन गुप्ता ने भी पाला बदला
कांग्रेस पूर्व प्रवक्ता प्रो गौरव वल्लभ और रोहन गुप्ता समेत प्रमोद कृष्णण ने आम चुनाव के करीब कांग्रेस से किनारा कर लिया। सब को पता था कि ये सभी लोग सत्ता के लालच में कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हैं। लेकिन जो कारण दलबदलुओं ने मीडिया में दिये वो काफी बचकाने बताये गये। प्रो वल्लभ ने कहा कि वो सनातन धर्म के खिलाफ बात बर्दाश्त नहीं कर सकते। इसके अलावा वो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वालों को रोज कांग्रेस के कहने पर गालियां नहीं दे सकते हैं। ये सब बाते तो फिजूल की रही हैं। कांग्रेस के टिकट पर प्रो वल्लभ झारखंड और राजस्थान से दो बार चुनाव लड़े लेकिन हार गये। प्रो को सत्ता और मंत्री पद की चाहत है वो समझ गये कि वो कांग्रेस में रह कर सत्ता चुख नहीं प्राप्त कर सकते हैं। ये सब नाटक सिर्फ सत्ता सुख के लिये किया गया है। इसी क्रम में प्रमोद कृष्णण और रोहन गुप्ता हैं। दोनों को लगा कि कांग्रेस तो सत्ता में आती दिख नही रही है इसलिये भाजपा का दामन लिया जाये।
प्रमोद कृष्णण को पार्टी ने निकाला
कांग्रेस नेता आचार्य कृष्णण को पार्टी ने उनकी गतिविधियों को देखते हुए निकाल दिया। वो काफी समय से राहुल प्रियंका और सोनिया गांधी के खिलाफ मीडिया में बयानबाजी कर रहे थे। काफी समय से लोग उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे। पार्टी को भी पता चल गया था कि वो भाजपा में जाने की जुगाड़ में हैं इसलिये पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया भाजपा तो कांग्रेस नेताओं को बटोरने को तैयार रहती है। भाजपा आम चुनाव के मद्दे नजर किसी भी दल के नेता को शामिल कराने को बेकरार रहती है। इसी क्रम में महारााष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ने एनडीए का हिस्सा बनना तय कर लिया। चर्चा है कि ये दोनों नेता राहुल सोनिया के काफी करीबी बताये जाते हैं। यह भी चर्चा है कि इन दोनों नेताओं को पार्टी छोड़ने के लिये जाचं एजेंसियों का दबाव बनाया गया था।

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