Why ECI is totally mum on religoius propoganda in election convasing and public meetings
Why ECI is totally mum on religoius propoganda in election convasing and public meetings

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देश में आम चुनाव के पहले चरण के मतदान हो चुके हैंं। छिटपुट मारपीट और आगजनी के मामलो के साथ 21 प्रदेशों के 102 सीटों पर चुनाव संपन्न हुए हैं। देश में चुनाव आयोग कितना सक्रिय है ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप सत्ता में या विपक्ष में। अगर सत्ता में हैं तो चुनाव आयोग को बेस्ट अवार्ड मिलने वाला है। यदि आप सत्ता के विरोध में हैं तो आप को लगेगा कि देश में कभी चुनाव आयोग होता था। आज के समय में तो चुनाव आयोग के नाम पर सरकार के कुछ खास अफसरो को बैठा दिया गया है जो केवल नियम कायदे विपक्ष के लोगोें पर ही कराने पर तत्पर रहते हैं। वैसे चुनाव आयोग केवल सत्ता के इशारो पर ही जगता है वो भी तब सत्ता के नेता किसी विरोधी दल के नेता के बयान पर ऐतराज जताते हैं। वैसे चुनाव आयोग गांधी जी के 3 बंदरों की तरह कुछ भी कहने सुनने और देखने का काम नहीं कर रहा है। भले ही लोग पूर्व चुनाव आयुक्त स्व टीएन शेषण की याद कर कहते हैं कि आज के समय में चुनाव आयोग पानी वाला सांप हो गया है जिससे सत्ताधारी दल के नेता और सरकार के मंत्री उसकी पूंछ पर पांव रखने में दिलचस्पी रखते हैं।
सरकारी खर्चे पर मोदी ने किया पार्टी का प्रचार
जब से देश में चुनाव आयोग ने आम चुनाव के मतदान की घोषणा की है तब से सत्ता धारी दल पूरी गति से चुनाव प्रचार में जुटा है। वैसे तो पीएम रहते हुए सरकारी खर्चे पर पूरे देश में पार्टी के प्रचार में जुटे रहते हैं। लेकिन जब से चुनावी कार्यक्रम ऐलान हुआ है तब से पीएम मोदी दुगुने जोश से पूरे देश मेें धूमकेतु की तरह चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि अब की बार उन्हें किसी अन्य नेता की जरूरत चुनाव जीतने में नहीं पड़ेगी। वो और उनकी पार्टी के नेता इस बार 400 पार का नारा बुलंद करने में जुटे हैं इसके बावजूद अपनी रैलियों व जनसभाओं में मांस मछली, मंदिर मस्जिद, राम मंदिर और नफरती बयानों को देने से बाद नहीं आ रहे हैं। ये देखा गया है कि चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी मंदिर की फोटो लेकर जनता के बीच पहुंचते हैं। लोगों से धार्मिक आस्था के नाम पर वोट मांगे जा रहे है। लेकिन चुनाव आयोग पूरी तरह से स्वामिभक्ति बना बैठा है। उसने अभी तक सत्ता धारी दल के नेता को नोटिस नहीं थमाया है। वहीं कांग्रेस के सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला को बीजेप सांसद हेमा मालिनी पर टिप्पणी करने मात्र पर एक दिन के लिये प्रचार से रोक दिया है। लेकिन धार्मिक आस्था व मंदिरों के साथ प्रचार करने वाले केन्द्रीय मंत्री और नेताओं के खिलाफ चुनाव आयोग कब नींद से जागेगा। इसका जवाब शायद चुनाव आयोग ही देगा। शायद नहीं भी दे क्यों कि कोई भी नौकर अपने मालिकों से सवाल कैसे कर सकता है। जिस चुनाव आयोग की तैनाती स्वयं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री करें उस अफसर की इतनी हिम्मत कहां कि वो अपने हाकिम से सवाल पूछने की हिम्मत दिखा सके।
यूपी में राम के पोस्टर के साथ प्रचार
यूपी के मेरठ में भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल अपने चुनाव प्रचार में भगवान राम के पोस्टर को अपने सीने से लगाये घूम रहे हैं। यूपी के मेरठ में भाजपा प्रत्याशी राम की फोटो के साथ प्रचार कर रहा है। अरुण गोविल ने रामायण धारावाहिक में श्रीराम का रोल निभाया था। भाजपा उनकी लोकप्रियता को कैश कराने के लिये उनकी छवि को इस्तेमाल कर रही है। लेकिन स्थानीय लोगों को अरुण गोविल को उम्मीदवार के रूप में ज्यादा पसंद नहीं किया जा रहा है। लोगों का मानना है कि वो एक बाहरी व्यक्ति हैं जो यहां के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं न तो लोगों कें बारे में और न यहां की समस्याओं के बारे में वो लोगों से मिलने में भी परहेज करते हैं। वो अपनी शानदा कार में आते हैं और निकल जाते हैं। इस वजह से पार्टी ने सोचा है कि उनके साथ श्रीराम का फोटो लगाया जायेगा ताकि लोग उनकी ओर आकर्षित हों। लेकिन इसके चलते पार्टी और गोविल ये भूल गये कि ये खुले आम चुनाव आयोेग की नियमों की अवहेलना है। दिलचस्प बात यह है कि इस मामले में भी चुनाव आयोग की ओर से कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है।

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