कोरोना वायरस ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में अपना कहर बरपा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हालात को देखते हुए हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। उसका मानना है कि इस जानलेवा बीमारी से बचने के साथ साथ इसके इलाज के लिये भी पूरी दुनिया को प्रयास करना होगा। सबसे ज्यादा हालात अमेरिका के नजर आ रहे हैं। वहां लगभग 90 हजार लोग इस जानलेवा रोग के शिकार माने जा रहे हैं। अमेरिका के बाद इटली, स्पेन और ईरान देशों का है जहां कोविड से प्रभावित लोग पाये जा रहे है। माना जा रहा है कि इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई है। लेकिन अब वहां हालात काफी सुधर गये हैं। चीन सरकार ने अथक प्रयास से अपने देश में इस खतरनाक बीमारी पर काबू पा लिया है।
भारत में भी सरकार ने कोविड 19 से बचाने के लिये प्रयास किया जा रहा है। पीएम मोदी ने भी देशवासियों से अपनेघरों में रहने की हाथ जोड़ के अपील की है। इसी के साथ सरकार ने किसान, महिला और दिहाड़ी मजदूरों के साथ निजी कंपनियों में काम करने वाले लोगों के लिये एक लाख सत्तर करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है। लोग यह मान रहे हैं कि जब पूरे देश में तालाबंदी कर दी गयीहै ऐसे में सरकार की राहत राशि बैंकों के खातों में पहंचेगी। उनके लिये तो ठीक है जिनके आधार कार्ड, पैन कार्ड हैं बैंक खाते हैं उनका क्या जिनकी कोई पहचान नहीं है। वो तो सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करते हें और शाम को सड़क और खुले मैदानों में सो जाते हैं। ऐसे लोगों की भारी संख्या दिल्ली मुंबई और मैट्रो सिटी में देखी जाती है। न तो इनके पास कोई बैंक खाता है मान लिया कि इनका बैंक में खाता है तो भी वो बैंकों से पैसा कैसे निकाले क्यों वहां तक पुलिस बल नहीं जाने देंंगे।
भारत में अभी तक सात सौ से अधिक लोग ही पहचाने गये हैं। ताजा सूचना के अनुसार भारत मे कोविड19 से 23 लोग ही मारे गये हैं। लेकिन भारत सरकार ने 21 दिन की पूरे देश में तालााबंदी लागू कर दी है। इससे बड़े शहरों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा परेशान दिख रहे हैं। लॉक डाउन होने के कारण दिहाड़ी मजदूरों का काम धंधा बंद हो गया है। उनके भूखे मरने की नौबत आ गयी है। ऐसे में यूपी और बिहार से कमाने आये लोग अब वापस अपने घरों को लौट जाना चाहते हैं। पूूरे देश में लॉक डाउन होने से कोई भी आदमी अपने जिलों से बाहर नहीं निकल पा रहा है। सरकार ने सभी शहरों की सीमाएं सील कर दी है। सभी जगह कफ्र्यू लगा दिया गया है।