PM Modi praised his govt. on the issue of Electoral Bond said peopleis knowing Political donation
PM Modi praised his govt. on the issue of Electoral Bond said peopleis knowing Political donation

#PM Modi# ANI Interview# Rahul Gandhi Vs Modi# Electoral Bond Scam# Supreme Court Cancelled Bond Scheme# ED,CBI& IT# Political Donation# Gen Election 2024#

अक्सर देखा जाता है कि जब भी पीएम मोदी जनसभा या रैलियों में अपनी सरकार और पार्टी के बारे में बोलते हैं तो विपक्ष की ओर से उस पर तीखी प्रतिक्रिया आती है। दो दिन पहले जब पीएम मोदी ने समाचार एजेंसी एएनआई पर लगभग 78 मिनट का इंटरव्यू दिया उसी दिन राहुल गांधी ने तमिलनाडु में उनके इंटरव्यू पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि पीएम मोदी हमेशा की तरह एक बार फिर झूठ बोला कि चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने को नया बिल पास कराया। ये बिल्कुल सफेद झूठ है बिल अपनी पार्टी में अंधा धुंध चंदा वसूली के लिये बनाया था। वित्तीय नियमों में बदलाव करने के साथा चंदे पर लगी सीमा को भी बदल दिया। उन शेल कंपनियों के जरिये भी सरकार ने चंदा लिया जो हैं ही नहीं। इसके अलावा सरकार ने जांच एजेंसियों के जरिये उद्योगपतियों से चंदा वसूली का काम लिया। कुछ कंपनियों ने तो सारी हदें पार करते हुए बीजेपी को चंदा दिया जिनका मुनाफ ही नहीं था। सरकार बताये कि ऐसी फर्जी कंपनियों से चंदा क्यों वसूला।

RJD Leader Tejasvi Yadav challanged PM Modi He will stop in Bihar Politics in Next Gen. Election
RJD Leader Tejasvi Yadav challanged PM Modi He will stop in Bihar Politics in Next Gen. Election

मोदी उठाते हैं आपदा में मौके का फायदा
2014 में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने नरेंद्र मोदी को एक चाय वाला कह कर कुछ टिप्पणी की थी नरेंद्र मोदी ने अय्यर के इस बयान को मुद्दा बनाया और गुजराती अस्मिता से जोड़ दिया था। परिणाम यह हुआ भाजपा और एनडीए को ऐतिहासिक जीत मिली और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इसी तरह विपक्ष का कोई न कोई नेता मोदी के खिलाफ देता है तो मोदी उसे अपने फायदे के लिये इस्तेमाल करने में माहिर हैं।

2019 में जब लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने पुलवामा कांड में शहीद हुए सेना के जवानों की शहादत को भी भुना लिया था। मोदी जानते किस तरह आपदा में अवसर निकाले या पैदा किये जाते हैं। एक बात तो मानना पड़ेगा कि मोदी जी किस तरह हवा का रुख बदला जाता है। उनका दिमाग इसी में लगा रहता है कि कब कोई विपक्षी दल के नेता बयान दें वो उसे तोड़ मरोड़ कर अपने फायदे के लिये इस्तेमाल कर लें। आपको याद होगा कि कुछ पहले राहुल गांधी ने काली शक्तियों के बारे में अपने बयान में जिक्र किया था। उसी बयान को बीजेपी के आईटी सेल ने एडिट कर सनातन धर्म की आदि शक्तियों से जोड़ कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया कि राहुल गांधी हमारी देवियों के बारे में यह कह रहे हैं कि उनकी लड़ाई देवियों से है।

PM spend Deepawali in Indian Army Camp to increase zeal in ary soldiers at border
PM Modi asked vote for BJP on the Name of Pulwama issue

रैलियों में बेवजह के मुद्दे उठाने में माहिर हैं पीएम
इसी तरह से तेजस्वी यादव ने एक ट्वीट कर बताया कि आज उन्होंने अपने कुछ नेताओं के साथ मछली खाई। इस बात को लेकर चुनावी सभा में जिक्र करते हुए यह कहा कि विपक्षी दलों के नेता सावन के महीने में भी मांस मछली को खाते हैं और हम सनातनी लोगों को चिढ़ाने के लिये सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। ये बात तो यह है कि मोदी ऐसा कोई मौका विपक्ष को कोसने का छोड़ते नहीं हैं।
खास मीडिया पर मेहरबान हैं पीएम
चुनावी दौर में अपनी और सरकार की छवि सुधारने को वो कई गोदी मीडिया और चैनल्स को इंटरव्यू दे रहे हैं जिनमें वही सवाल पूछे जाते हैं जिनका जवाब मोदी जी चाहते हैं। कोई तीखा सवाल पूछने की हिम्मत किसी न्यूज एजेंसी या चैनल के एंकर की होती नहीं है। एएनआई को दिये गये इंटरव्यू में चुनावी चंदे पर कुछ इस तरह जवाब देते हैं उसमें भी वो अपनी सरकार की तारीफ करने लगते हैं। वो कहते हैं कि अगर ये चुनावी चंदा कानून हमने नहीं बनाया होता तो आज किसी को पता ही नहीं चलता कि किस पार्टी को किस कंपनी और उद्योगपति ने कितना चंदा दिया है। हमने तो चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने को कानून बनाया था।
चुनावी चंदे का भारी हिस्सा भाजपा को लेकिन मोदी विपक्ष कोसते
हमें तो सिर्फ 37 प्रतिशत चंदा मिला विपक्ष को 67 प्रतिशत चंदा मिला। इस कानून को पास कराते समय सारे विपक्षी दलों ने समर्थन किया था। चंदा तो उनको भी मिला है। सिर्फ मेरी सरकार और भाजपा को क्यों बदनाम किया जा रहा है। ये बात तो सभी जानते हैं कि भाजपा को 12,500 करोड़ का चंदा व्यापारियों ने दिया है। भाजपा ने इस कानून को सिर्फ अपने फायदे के लिये वित्त कानूनों और चुनाव आयोग के नियमों में फेर बदल किया था। उस समय आरबीआई और चुनाव आयोग ने भी इस योजना का विरोध किया था। लेकिन बाद में आरबीआई और चुनाव आयोग ने सरकार की हां में हां मिला दी और 2018 में ये बिल पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और नरेंद्र मोदी ने संसद के दोनों सदनों में पास करवा लिया।

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