#Electoral Bond Scam# Supreme Court verdict# PM Modi# Finance Ministry# RBI # SBI# NDA Vs INDIA Alliance# Foods & Drus safty Dept.# Blaclist Pharma Cos.# Election Commission#

भारत में एक कहावत बोली जाती है कि जिस घर में वकील या डाक्टर घुस जाता है उसका खेत घर द्वार सब बिक जाता है। 25 साल पहले तक यह माना जाता था कि डाक्टर भगवान का रूप होता है लेकिन आज भगवान नहीं वो बिजनेसमैन हो गये हैं। उनका सिद्धांत है कि वर मरे या कन्या उनको दक्षिणा से मतलब होता है। उस पर दवा निर्माता कंपनियों का ईमान बस मुनाफाखोरी रह गया है। दिन ब दिन इलाज करवाना एक गंभीर समस्या बन कर रह गया है। यह भी देखा जा रहा है कि दवा के नाम पर लोग कुछ भी बेच रहे हैं।

RC cough syrup is sub standard got notice from food & Drugs dept.
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BP medicine Telma
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उनको मरीज के स्वास्थ्य की कोई फिक्र नहीं उन्हें सिर्फ अने मुनाफे मतलब है। पिछले पांच सालों में यह भी देखा गया है कि नामीगिरामी दवा कंपनियों के उत्पाद पर रोक लगवाने के बावजूद उत्पादन जारी है और नासमझ और गरीब जनता उनकी दवा​इयों का सेवन कर रही जिससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस गोरखधंधे में सरकारों की भूमिका भी संदिग्ध रही है। वो कंपनियों से मोटा कमीशन और चंदा वसूलती हैं। उन्हें आम जनता के वोट के अलावा कुछ लेना देना नहीं है। कोरोना जैसी महामारी के समय में भी सिप्ला जैसे बड़ी फार्मा कंपनी ने मुनाफाखोरी के लिये आम जनता की जान की चिता न करते हुए लूट जारी रखी। यह जानते हुए भी केन्द्र की मोदी सरकार ने इस कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की।

CJI of Supreme Court cancelled Electoral bond So PM Modi & Govt. are critisizing CJI in event
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भारत में दवा, इलाज और मेडिकल सुविधाओं की बढ़ती क़ीमतें कोई छुपी हुई बात नहीं है। इस स्थिति में अगर ये पता चले कि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, मलेरिया, कोविड या दिल की बीमारियों का इलाज करने वाली कई प्रचलित दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल होते रहे हैं तो आम लोगों के लिए ये एक चिंता का विषय है।

Supreme Court asked full detaisls of Electoral Bond puchase & donations
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दागी फार्मा कं​पनियों ने खरीदे चुनावी बांड
लेकिन अगर साथ-साथ ये भी नज़र आए कि जिन कंपनियों की दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपयों के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के तौर पर दिए तो बात और भी गंभीर हो जाती है।
ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े उस डेटा के विश्लेषण से जिसे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाया और जिसे चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किया।
23 कंपनियों ने बीजेपी को दिया कारोड़ों का चंदा
डेटा को खंगालने पर ये सामने आया है कि 23 फ़ार्मा कंपनियों और एक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिये क़रीब 762 करोड़ रुपए का चंदा राजनीतिक दलों को दिया। आइए पहले नज़र डालते हैं उन फ़ार्मा कंपनियों पर जिनके ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए और जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदकर राजनीतिक दलों को दिए।
1. टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड
इस कंपनी का रजिस्टर्ड दफ़्तर गुजरात के अहमदाबाद में है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई तीन दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए ये दवाएं थीं डेप्लेट ए 150, निकोरन आईवी 2 और लोपामाइड, डेप्लेट ए 150 दिल का दौरा पड़ने से बचाती है और निकोरन आईवी 2 दिल के कार्यभार को कम करती है। लोपामाइड का इस्तेमाल अल्पकालिक या दीर्घकालिक दस्त के इलाज के लिए किया जाता है। इस कंपनी ने 7 मई 2019 और 10 जनवरी 2024 के बीच 77.5 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। इन 77.5 करोड़ रुपए में से 61 करोड़ भारतीय जनता पार्टी को दिए गए.
सिक्किम क्रान्तिकारी मोर्चा को इस कंपनी ने 7 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 5 करोड़ रुपए दिए.
2. सिप्ला लिमिटेड
सिप्ला लिमिटेड का रजिस्टर्ड दफ़्तर मुंबई में है। साल 2018 से 2023 के बीच इस कंपनी की बनाई दवाओं के सात बार ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। ड्रग टेस्ट फ़ेल करने वाली दवाओं में आरसी कफ़ सिरप, लिपवास टैबलेट, ओन्डेनसेट्रॉन और सिपरेमी इंजेक्शन शामिल थी। सिपरेमी इंजेक्शन में रेमडेसिविर दवा होती है जिसका इस्तेमाल कोविड के इलाज में किया जाता है। लिपवास का इस्तेमाल कोलेस्ट्रॉल कम करने और हृदय रोगों के ख़तरे को कम करने के लिए किया जाता है।
ओन्डेनसेट्रॉन का इस्तेमाल कैंसर कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी के कारण होने वाली मतली और उल्टी को रोकने के लिए किया जाता है इस कंपनी ने 10 जुलाई 2019 और 10 नवम्बर 2022 के बीच 39.2 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे। इनमें से 37 करोड़ के बॉन्ड बीजेपी को दिए गए और 2.2 करोड़ के कांग्रेस को।

3. सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ लिमिटेड
सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ का मुख्यालय मुंबई में है। साल 2020 और 2023 के बीच छह बार इस कंपनी की बनाई गई दवाओं के ड्रग टेस्ट फ़ेल हुए। टेस्ट में फ़ेल होने वाली दवाओं में कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ़्लेक्सुरा डी शामिल थीं। कार्डिवास का इस्तेमाल उच्च रक्तचाप, हृदय से संबंधित सीने में दर्द (एनजाइना) और हार्ट फेलियर इलाज के लिए किया जाता है। 15 अप्रैल 2019 और 8 मई 2019 को इस कंपनी ने कुल 31.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे। ये सारे बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिए।
नोट सभी आंकड़े बीबीसी की वेबसाइट से लिये गये हैं।

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