महाराष्ट्र सरकार पर संकट के बादल
नवंबर में बनी महाराष्ट्र सरकार पर संकट के बादल घिरते दिख रह है। तीन दलों के गठबंधन से महाराष्ट्र में सरकार का गठन हुआ था। एनसीपी और कांग्रेस के सहयोग से शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को सीएम बनाया गया था। लेकिन तीनों दलों मेंं तालमेल का अभाव देखने को मिल रहा है इसका असर सरकार पर भी पड़ता दिख रहा है।
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सरकार है। नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर तीनों दलों की अलग-अलग राय है।शिवसेना को सीएए व एनपीआर से कोई समस्या नहीं है। तो वहीं महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की ओर से मंत्री बनाए गए अशोक चव्हाण ने कहा है कि सीएए व एनआरसी और NPR पर शिवसेना का रुख साफ नहीं है। उन्होंने कहा है कि इस मुद्दे को ‘महाराष्ट्र कॉर्डिनेशन कमेटी’ के पास भेजा जाएगा। उद्धव ठाकरे ने एनपीआर के मामले में अपनी सहमति जताते हुए कहा कि इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होने वाली है अत: अपने प्रदेश में एनपीआर लागू हो सकता है। उनके इस बयान पर सरकार में शामिल अन्य दोनों दल एनसीपी और कांग्रेस ने उनके इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि हम लोग शुरू से ही सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध कर रहे है।
हम इस मामले में सीएम उद्धव ठाकरे से बात करेंगे और उनके इस बयान पर विचार करने का दबाव बनायेंगे। मालूम हो कि संसद के दोनों सदनों में शिवसेना ने केन्द्र की भाजपा सरकार को सीएए के मामले में मदद की थी। लोकसभा में शिवसेना के सांसदों ने सीएए के फेवर में वोट किया था। हाल ही में उद्धव ठाकरे ने एनआईए को भीमा कोरेगांव मामले की जांच देने की सहमति दी। इस बात को लेकर भी एनसीपी और कांग्रेस कड़ा ऐतराज जताया था।